Monday, August 11, 2008

अभिनव बिंद्रा का अभिनन्दन

देश ओलम्पिक में शामिल तो होता था
११० करोड़ का देश शर्मिंदा वापिस होता था

अरबों खर्च का था सालो साल कोई हिसाब नही
एक भी एकल स्वर्ण था हमारे भाग में नही

हम विश्व नेता होने का दावा करते थे
लेकिन स्वर्ण पाने को तरसते थे

खेल भावना की मिसाल देते थे
अपने कर्म ठोक रो लेते थे

कभी ध्यान कभी मिल्खा कभी अमृत याद करते थे
कर्नेश्वरी और चौहान को आँखों पर रखते थे

पुरुश्कारो को अर्जुन राजीव पुकारते थे
देश के खिलाडियों को भर भर धिक्कारते थे

असली अर्जुन तो अभ्यास कर रहा था
अपने करतब को पैनी धार धार रहा था

सुबह पूरब से नया उजाला आया
देश में खुशीओं से भरा पैगाम लाया

अभिनव तुम देश की शान
भेद दिया ओलम्पिक का निसान

२५ साल के पंजाब के नवजवान
आधुनिक अर्जुन को देश का सलाम

आओ वापिस देश पलक बिछा इन्तजार में
है बिंद्रा के विजय अभियान उत्सव की त्यारी जोरों पे है

तुम्हारी विजय देश का भाग लिखा जाने वाला है
स्वर्ण नही, नवयुवको की प्रेरणा और संकल्प होने वाला है

बिंद्रा परिवार को हार्दिक बधाई

1 comment:

सोनाली सिंह said...

चक दे फट्टे, मार लिया मैदान, जीत ली जंग, दे दिया जवाब, बन गये बादशाह, ख़ुशी से झूम रहा है पूरा देश ........... शाबाश अभिनव !