Friday, October 11, 2024

बंट गया तो कट गया

 साथी हाथ बढ़ाना

बट गया तो कट गया

मिल के कर सामना


ढाका में मां के मुकुट पर डाका 

यहां हिन्दू शब्दों पर हांका

कब तक जुर्म सहोगे आका


हम धर्म निरपेक्ष रह गए

लुट गए, पिट गए 

वो बढ़ते गए

हम विश्व में कम होते गए


वोह एक ही सजा 

सर तन से जुदा 

गाते गए


भारत माता की जय 

से मुंह चुरा

लव जिहाद फैलाते गए


हम उन्हें अनजाने में

ना जाने क्यों,

 गले से लगाते गए


उनके विदेशी आका

उन के कुकर्मों पर 

ठठाके लगाते, 

माल लुटाते गए


वो एक मुस्त वोट डाल

सरकारें बनाते गिराते रहे

उनके सरपरस्त हमे

स्वर्ण, दलित, पिछड़ों में

बाँट मलाई चाटते रहे।


अब  हम जगना होगा

मुकुट चुराने वालों से

लव जिहाद फैलाने वालों से

पाक के  नापाक गाने वालों से

बचना होगा। 


'बटेंगे तो कटेंगे'

इस मंत्र को शस्त्र बनाना होगा।

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