साथी हाथ बढ़ाना
बट गया तो कट गया
मिल के कर सामना
ढाका में मां के मुकुट पर डाका
यहां हिन्दू शब्दों पर हांका
कब तक जुर्म सहोगे आका
हम धर्म निरपेक्ष रह गए
लुट गए, पिट गए
वो बढ़ते गए
हम विश्व में कम होते गए
वोह एक ही सजा
सर तन से जुदा
गाते गए
भारत माता की जय
से मुंह चुरा
लव जिहाद फैलाते गए
हम उन्हें अनजाने में
ना जाने क्यों,
गले से लगाते गए
उनके विदेशी आका
उन के कुकर्मों पर
ठठाके लगाते,
माल लुटाते गए
वो एक मुस्त वोट डाल
सरकारें बनाते गिराते रहे
उनके सरपरस्त हमे
स्वर्ण, दलित, पिछड़ों में
बाँट मलाई चाटते रहे।
अब हम जगना होगा
मुकुट चुराने वालों से
लव जिहाद फैलाने वालों से
पाक के नापाक गाने वालों से
बचना होगा।
'बटेंगे तो कटेंगे'
इस मंत्र को शस्त्र बनाना होगा।
No comments:
Post a Comment