Friday, October 18, 2024

भावांजलि



 🌹🚩 🌹

भारत में हिंदुओं की हालत

नहीं होती अब बखान  

राम, देवी, गणपति भक्तों की

सुनवाई कब होगी भगवान।


कब हम अपने देवी देवताओं के

लाड लड़ाएंगे।

कब हम उनको धूम धड़ाके सेलाएं 

विसर्जित करने जाएंगे।


आज वो तो संसद पर भी अपना

दावा कर बैठे

रेल की पटरी हो या उड़ता जहाज

छोटा बड़ा ढाबा होटल 

पत्थर रख गिराना, थूक मिलाना 

वोह अपना हक समझ बैठे।।


अत्याचार की हद करने को

गली गली में तैयारी में वो बैठे।


कहते थे

मजहब नहीं सिखाता  

आपसे में बैर रखना

आज उनका दावा कि 

बाहर पैर न रखना।


भक्त तैयारी करते विसर्जन की

ढोल नगाड़े, डी जे, अबीर गुलाल

प्रसाद एकत्र करते 

बाल गोपाल, औरत बच्चे

नाचते गाते, उल्लास मचाते

नदी, तालाब सागर की और बढ़ते


ऐसा ही कुछ हुआ 

ना सोचा, ना समझा, 

ना सपने में आया

दुर्गा मां के भक्तों में तो

 था उल्लास छाया।


तभी एक और से पत्थरों की

बरसात आई।

कारण, बंद करो डीजे मत उड़ाओ 

गुलाल की आवाज आई।


देवी मां  पर  पत्थर  बरसे 

ये वो सहन न कर पाया

उसने देखा उस छत पर 

जिहादी झंडा था फहराया 


झंडा नहीं था वोह तो 

दुश्मनों ने था जाल बिछाया। 

एक शेर और कितने ही गीदड़

वीर नहीं था बिल्कुल घबराया।


माता के जयकारे थे गूंज रहे

रणचंडी भक्त में जोश थर्राया।


दौड़  गया  रगों  में उसकी 

मंगल पांडे का वो साया

झंडे  का  रंग  बदलने  को

 तड़प उठी उसकी काया।।


बिजली की गति से वीर मिश्र 

चढ़ा जिहादी की छत पर

हटाया  आतंकी  कपड़ा  

लहराया  भगवा  उस छत पर


पर  घेर  लिया  एक  अकेले  को  

नामर्दों  के  झुंडों   ने

चौबीस  गोलियां  सीने में  दागी  

इन मजहबी  गुंडों  ने


अमर  हो  गया  एक  और 

 धर्म  की  रक्षा  करते करते 

जोश    जगाया   सोये  हिंदू  में  

दीवाने  ने  मरते  मरते 


आज के भगतसिंह सम तुझे मानता

पूरा देश प्रणाम निवेदित कर रहा है

मोदी योगी जाग गए  न छोड़ेंगे तेरे

हत्यारे को अमित का डंडा चल रहा है।

🌹💐🇮🇳🙏

Wednesday, October 16, 2024

टकला

 ना मैं टकला ना तू पूरा टकला

फिर क्यों बजा रहा यह तबला


टकलों की दुनिया न्यारी

इनका टकला बालों पर पड़ता भारी 


झंझट इन्हें नहीं बालों का

सर में जूं, खुश्की, और कंघे का


प्रेमिका को मिलता जो टकला

नहीं ढूंढती बजाने को तबला


लड़ाई में तो हो जाता कमाल

जब रकीब के हाथ में नहीं आते बाल


सफेद, सुनहरे काले बाल

जिनकी टकले नहीं करते सम्भाल।


नाई सेलून की इन्हें क्या परवाह

क्योंकि उगते ही नहीं टकले सिर पर बाल

Friday, October 11, 2024

स्वदेशी दीपावली संदेश

  चकाचौंध में चायनीज की,

 घर कुम्हार का खाली है,

कैसे बोलो फिर कह दूँ ,

की भारत में दीवाली है,


धन तेरस से लेकर जो त्यौहार 

दूज तक जाता है

इतने दिन में ड्रैगन हमसे 

अरबों नोट कमाता है,


हिंदुस्तानी रुपया, जितना चीन को जायेगा,

वही पाक से होकर के वापिस आतंक मचायेगा,


नहीं चाइना की झालर समझो शकुनी के पांसे हैं,

एक एक झालर से ही चलती ड्रैगन की साँसे हैं,


पाक चीन ये परम मित्र हैं दोनों पर आघात करो,

दुश्मन से केवल दुश्मन की भाषा में ही बात करो,


*अब अपने त्यौहारों में न दुश्मन को समृद्ध करो,*

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो*, (१)


हिन्द देश के वासी हो अपने भारत से प्यार करो,

चायनीज की बली चढ़ा निज सैनिक का सत्कार करो,


अपने घर की लक्ष्मी को यूँ ऐसे ना बर्बाद करो,

त्यौहारों के मौसम में न दुश्मन को आबाद करो,


पाक हितैषी चीनी सेना के मंसूबे पस्त करो,

लात मारके सामानों में अर्थव्यवस्था ध्वस्त करो,


चायनीज सामान यहाँ जितने हमने धिक्कार दिए,

समझो उतने दुष्ट पाक आतंकी हमने मार दिए,


मिलकर के सब करो प्रतिज्ञा कड़ी जोड़के रख दोगे,

घर बैठे ही दुश्मन की तुम कमर तोड़के रख दोगे,


*सेना लड़ती है सीमा पे तुम भीतर से युद्ध करो,*

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो,*(२)


मेरे प्यारे देशवासियों तुम भारत के संबल हो,

भूमिपुत्र की आश तुम्हीं हो तुम ही सैनिक का बल हो,

*राष्ट्रभक्ति के नायक भी तुम स्वदेशी अनुयायी भी,*

*सावरकर अरविन्द घोष गंगाधर की परछायी भी,*

*रविन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम की तुम परिभाषा हो,*

*वर्तमान में देश बदलने की तुम अंतिम आशा हो,*

*बालकृष्ण राजीव भाई तुम रामदेव की आँधी हो,* 

*स्वदेशी का साथ निभाने वाले महात्मा गाँधी हो,*

*भरतभूमि की शान स्वयं की संस्कृति के रखवाले हो,*

*तुम होली के रंग और दियों के तुम्हीं उजाले हो,*

*चीनी सेना की ताकत को तुम मिलकर अवरुद्ध करो*,

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो,*


इन्हीं पंक्तियों के साथ सभी देशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भैया दूज की शुभकामनायें !

बंट गया तो कट गया

 साथी हाथ बढ़ाना

बट गया तो कट गया

मिल के कर सामना


ढाका में मां के मुकुट पर डाका 

यहां हिन्दू शब्दों पर हांका

कब तक जुर्म सहोगे आका


हम धर्म निरपेक्ष रह गए

लुट गए, पिट गए 

वो बढ़ते गए

हम विश्व में कम होते गए


वोह एक ही सजा 

सर तन से जुदा 

गाते गए


भारत माता की जय 

से मुंह चुरा

लव जिहाद फैलाते गए


हम उन्हें अनजाने में

ना जाने क्यों,

 गले से लगाते गए


उनके विदेशी आका

उन के कुकर्मों पर 

ठठाके लगाते, 

माल लुटाते गए


वो एक मुस्त वोट डाल

सरकारें बनाते गिराते रहे

उनके सरपरस्त हमे

स्वर्ण, दलित, पिछड़ों में

बाँट मलाई चाटते रहे।


अब  हम जगना होगा

मुकुट चुराने वालों से

लव जिहाद फैलाने वालों से

पाक के  नापाक गाने वालों से

बचना होगा। 


'बटेंगे तो कटेंगे'

इस मंत्र को शस्त्र बनाना होगा।