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भारत में हिंदुओं की हालत
नहीं होती अब बखान
राम, देवी, गणपति भक्तों की
सुनवाई कब होगी भगवान।
कब हम अपने देवी देवताओं के
लाड लड़ाएंगे।
कब हम उनको धूम धड़ाके सेलाएं
विसर्जित करने जाएंगे।
आज वो तो संसद पर भी अपना
दावा कर बैठे
रेल की पटरी हो या उड़ता जहाज
छोटा बड़ा ढाबा होटल
पत्थर रख गिराना, थूक मिलाना
वोह अपना हक समझ बैठे।।
अत्याचार की हद करने को
गली गली में तैयारी में वो बैठे।
कहते थे
मजहब नहीं सिखाता
आपसे में बैर रखना
आज उनका दावा कि
बाहर पैर न रखना।
भक्त तैयारी करते विसर्जन की
ढोल नगाड़े, डी जे, अबीर गुलाल
प्रसाद एकत्र करते
बाल गोपाल, औरत बच्चे
नाचते गाते, उल्लास मचाते
नदी, तालाब सागर की और बढ़ते
ऐसा ही कुछ हुआ
ना सोचा, ना समझा,
ना सपने में आया
दुर्गा मां के भक्तों में तो
था उल्लास छाया।
तभी एक और से पत्थरों की
बरसात आई।
कारण, बंद करो डीजे मत उड़ाओ
गुलाल की आवाज आई।
देवी मां पर पत्थर बरसे
ये वो सहन न कर पाया
उसने देखा उस छत पर
जिहादी झंडा था फहराया
झंडा नहीं था वोह तो
दुश्मनों ने था जाल बिछाया।
एक शेर और कितने ही गीदड़
वीर नहीं था बिल्कुल घबराया।
माता के जयकारे थे गूंज रहे
रणचंडी भक्त में जोश थर्राया।
दौड़ गया रगों में उसकी
मंगल पांडे का वो साया
झंडे का रंग बदलने को
तड़प उठी उसकी काया।।
बिजली की गति से वीर मिश्र
चढ़ा जिहादी की छत पर
हटाया आतंकी कपड़ा
लहराया भगवा उस छत पर
पर घेर लिया एक अकेले को
नामर्दों के झुंडों ने
चौबीस गोलियां सीने में दागी
इन मजहबी गुंडों ने
अमर हो गया एक और
धर्म की रक्षा करते करते
जोश जगाया सोये हिंदू में
दीवाने ने मरते मरते
आज के भगतसिंह सम तुझे मानता
पूरा देश प्रणाम निवेदित कर रहा है
मोदी योगी जाग गए न छोड़ेंगे तेरे
हत्यारे को अमित का डंडा चल रहा है।
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