Tuesday, May 4, 2010

हार ही जीत का श्रोत..

जिन्दगी जिंदादिली का नाम है
रुकावटें मुसीबतें तो यूँ ही बदनाम है


आती हैं यह सब्र का इम्तहान लेने
आंकने ताकत और होसला तोलने


जो डर गया घबरा गया
या इनसे जी चुरा गया


मर गया जीतेजी मौत की जरुरत उसे नही
जो अड़ गया मैदान ए जंग में वोह हारा नही


पोरस हर के भी जीता था दुनिया जानती है
जीसे गौरो ने डिब्बे से फैंक दिया उसे आज महात्मा जानती है


लिंकन, वाशिंगटन गजनवी इंदिरा की हार कोन नही जानता
संघर्ष इनका जिसने विश्वनेता इन्हें बना दिया


ना थमे ना रुके रणबाँकुरे झुझ गये केसरिया बना पहिरके
ली प्रेरणा, संकल्प जीत का लिया बेपरवाह हार या जीत से


आज इतहास भर गया है इन की कहानिओं से
कल तुम्हारी भी चर्चा इनमे होगी तुम्हारे काम से


मत कर प्रवाह हार की जीत की कर्म कर कर्म कर
कर्म किये जा फल वोह देगा विश्वास कर

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

waah adbhut..virah ka sacha aur takneeki bhara varnan