खुश रहो
आबाद रहो
चैन से जीयो
सालों नाबाद रहो
हर सुबह नया सूरज देखो
हर रात नया चाँद ताको
हर पल को जीयो
यादों को दिल से ना बांधो
हर रात में दिन
हर गम में ख़ुशी
हर मा में ममता
हर माशूक में अदा
हर मन्दिर में बुत
हर काबे में खुदा
मिलता है चाहने वाले को
उठा नजर मिला जिगर
भूल जा गम
मना दीवाली रोज हर दम
हर दिन खुशनुमा होगा
हमे याद कर प्रेरणा ले रहा होगा
Tuesday, October 7, 2008
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1 comment:
बढिया रचना है।
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