Thursday, October 23, 2008

मानस शोर्य कामना

जिसने भी तुम्हारा नाम मानस रखा होगा
तुम्हारे नामकरण के बाद इतहास बन गया होगा

हम बचपन से सुनते हैं
खत्री बहुत सुंदर होते है

आज हम देख रहे है
सुंदर ही नही रचियक भी पा रहे हैं

इस उम्र में तुम्हारा यह हाल है
जल्द बडे हो जाओ खाली पडे हाल हैं

तुम्हे बहुत आगे जाना है
दुनिया को बहुत कुछ सुनाना है

आज स्कूल की पुस्तिका में स्थान मिलता है
कल विश्व प्रसारण में उच्च स्थान दिखता है

हर फिल्म में हीरो कवि और गायक होता है
सुना के अपनी कविता कविताओं को मोहता है

तुम्हारी भी उम्र आने वाली है
इस कला की जरूरत तुम्हे जल्दी ही पड़ने वाली है

अपने जैसी ही नायिका का वरन करना
जो तुम्हारी प्रेरणा बन सके ऐसी का चयन करना

कुछ वर्ष शादी के बाद अपने जैसा चिराग जलाना
उस भी मानस यानी मानसपुत्र खत्री बनाना

और क्या लिखें आज इतना काफी है
हमारा आशीर्वाद, आशीष, तुम्हारा साथी है

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रामचरित 'मानस'

तेरे प्यार की क्या तारीफ करूं कुछ कहते हुए मैं डरता हूँ
कहीं भूल से यूँ ना समझ लेना की मैं तुम से महोब्बत करता हूँ

सात समुन्द्र पार से मैं लेता हूँ तुम्हारी बलैयां
तुम अयोध्यावासी मैं तो केवल रामभक्त हूँ भैया

हम हैं दंडकारन्य लंका के पडोसी महिसासुर की नगरी के दक्षिणवासी
तुम पढ़ लिख राम बनाना आना इधर बन सन्यासी

सीता जैसी कोमलांगी तुम्हारे साथ हो और लक्ष्मण जैसा भाई
हनुमान मिलेंगे यहाँ तुम बनाना तुलसीदास की चौपाई

लिखना पढेंगे सभी ध्यान से
तुम भी तर जाओगे हम भी पार उतर जायेंगे इस जहान से

1 comment:

Manas Khatri said...

----हिंदी साहित्य के डॉ साहब, मित्तल जी------(स्वरचित कविता)

हमारे देश में महान कविओं की न हाई कमी,
आखिर हिंदी साहित्य पर ही तो,
दुनिया है थमी.
अरे! भारत में तो कविताओं के भी "डॉक्टर" हुआ करते हैं,
वो भी इतने ग्रेट की,
बिना चीर फाड़ के ही ऑपरेशन करते हैं.

"डॉ मित्तल" जी की तो बात ही निराली है,
इनकी साहित्यिक और आलंकारिक भाषा,
बनती इनकी कविताओं को,
और भी प्रतिभाशाली है.

हिंदी साहित्य के हैं ये डॉक्टर,
कविताओं को अपना दोस्त बनाते हैं,
कविताएँ स्वस्थ रहे इसलिए,
"नव-रसों" का इंजेक्शन लगाते हैं.

वैसे तो दुनिया में हर कोई कवी महान है,
पर मित्तल जी ऐसे हैं,
जिनकी कविताओं में "जान" है....

मानस खत्री
9889206089
http://manaskhatri.wordpress.com/2008/11/06/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%9A%E0%A4%BF/