Thursday, June 2, 2022

गौसेवा हेतु आश्रुपूर्ण मिलन

गौशालाओ में कुर्सी का संघर्ष चलता रहता है। कलकत्ता की एक गौशाला के नामी धनाढ्य अपने मित्र से चुनाव हार गए और गौशाला से विमुख हो गए। मित्र को उन्होंने सपष्ट कह दिया कि अगर उसने गौशाला के विषय में कुछ भी मांगा तो उसकी मित्रता का अंतिम दिन होगा। कुछ दिनों पश्चात मित्र प्रात: अपने विमुख मित्र के घर गया और मित्र की पत्नी से कहा भाभी हलवा बना।मित्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और पूंछ बैठा कि आज क्या विशेष है। *यह उत्तर सुनने लायक है* भाई, तेने तो बोल दिया कि गौशाला के बारे में कोई बात नही करूं और करूंगा तो तेरी मेरी मित्रता का अंतिम दिन होगा। परंतु मैं क्या करूं रोज रात गोशाला के प्राणी स्वपन में आकर मुझे पूछते हैं कि मैंने तेरे से बात की, तेरी सेवा को याद करते मुझे सींग मारते हैं। मुझे पता है की आज मेरा तेरे साथ आखिरी दिन है क्योंकि मैं रोज रात सींग नही खा सकता तो आज भाभी के हाथ का हलवा आखरी बार खा कर तेरे से गौशाला के प्राणियों हेतु बात करने आया हूं। मुझे पता है कि तू मुझे आज धक्के मारेगा लेकिन मैं गौमाता के सींग खाने से बच सकूंगा। मित्रो, कुछ ही पलों में दोनो मित्र आंसू पुरित नेत्रों से गले लग गौशाला कल्याण हेतु अग्रसर थे। आइए, हर एक को प्राणी सेवा से जोड़ने का हर संभव प्रयास करें डा श्रीकृष्ण मित्तल

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