Friday, August 14, 2020

..पिताश्री....

        

आज आपके जन्मदिवस के पावन अवसर पे नमन करता हूँ अपना बचपन और आपका कन्धा आज भी करता हूँ॥ 

एक दिन दादी ने मुझे बतलाया था कि

तने मंदिर तीर्थ घुमे तो मुझे पाया था॥ 


मेरे जन्म पर आपने पूरे गाँव में बधाई बाटी थी खुशिओं की सौगात और मिठाई भी बाटी थी॥ 


मेरे स्कूल जाने पर कितनी बलैयां ले डाली थी 

पास होने पर, कितनी शाबाशीयां दे डाली थी॥ 


माँ मेरी शरारतों से थक तुम्हारा इंतज़ार करती थी तुम्हारे नाम को ले ले मुझे डराया करती थी ॥ 


तुम उनको सुन अनसुना करते थे 

राजा बेटा अच्छा बेटा कह 

मुझे समझाया करते थे॥ 


याद आता है मेरा साइकल से गिर जाना 

मेरी चोट देख जैसे तुम्हारी जान निकल जाना॥ 


सर्दी गर्मी धुप छाओं से मुझे बचाया करते थे 

मेरे हर सवाल का जवाब 

हर मुश्किल सुलझाया करते थे॥ 


जिन्दगी के हर मोड़ पर मैं ने आपको पाया था 

जीवनसंगनी लाकर मेरा गृहस्थ जीवन बसाया था॥ 


कितनी ही बार आप भी झुंझलाते थे 

बाप बनुगा तो पता चलेगा कह थक जाते थे॥ 


आज जब मैं भी जवान बेटे का बाप बना हूँ

 आपके कदम के निसानो पे खडा हूँ ॥ 


आपके पोते से मैं भी रूठ जाता हूँ 

बेटा बाप बनोगे तो याद करोगे बोल जाता हूँ ॥ 


दादा जैसा बनो उन्हें स्मरण करो 

उन्हें याद दिलाता हूँ 

अपने जवाब - उसके मुख से सुन शर्माता- पछताता हूँ ॥ 


बाप बेटे के सवाल का सो बार जवाब देता है 

बेटा बाप के एक सवाल दुबारा आने पर 

सनकी, बुढा बोल देता है ॥


 पितृपक्ष पर सुबह तर्पण करता है 

श्राद्ध करता ब्रह्म भोज करता है 


उसही आदरणीय के अधूरे कामो से मुख मोड़ लेता है ॥ 

मैंने भी एक प्रण किया था इस जिन्दगी का 

अच्छा बेटा बन आपके स्वप्न पूरे करने का ॥ 


लेकिन क्या मैं आपकी आकांक्षा पूरी कर सका हूँ आज जिस मुकाम पर हूँ क्या आपकी ऊंचाई तक पहुँच सका हूँ ? 


अगर कोई ख़ता हुई हो तो मुझे माफ़ करना 

मेरा प्रण है आपकी भावना- इच्छा पूर्ण करना ॥ 


आज इस आपके जन्म दिवस पर  मैं नमन करता पुष्प चढाता हूँ 

आशीर्वाद की कामना और 

श्रद्धा का विश्वास दिलाता हूँ ॥

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