Tuesday, July 28, 2015

गुरुदासपुर के वीरो का जवाब


आज सरहद पार से फिर किसी ने पुकारा है ।
आतंकवाद के साये में धूर्त जलते पडोसी ने ललकारा है ॥
पूरा भारत घूम, सिमी-मुजाहिद्दीन, फिर धमका गया ।
गुरुदासपुर के सपूतों ने इस चुनौती को स्वीकारा किया ॥
आतंक के सौदागरों को चेतावनी का संदेश भिजवाया है ।
बम फोड ले, सडक खोल ले, हिंद-कश्मीर हमारा है ॥
६० साल से जालिम तुने मासूमों पर कहर बरपाया है ।
हम ने मुहतोड़ जवाब दिया और हर जगह तुझे हराया है ॥
खेमकरण और कारगिल के संग्राम की पिटाई तू क्या भूल गया ।
जम्मू हो या सूरत, हैदराबाद हो या बनारस, चाहे संसद, तेरी मौत भूल गया ॥
शायद खावायिश लालकिले पे चाय पीने की अभी भुला नहीं तू ।
शास्त्री के जय जवान की मार को आज भी याद कर तू ॥
राम कृष्ण गौतम गाँधी तिलक जवाहर के हम वंशज हैं जानले ।
सर पे कफ़न माथे पे तिलक, कमर कसे है हिंदकी सेना मानले ॥
हमने विश्व को मानवता का सन्देश दिया ।
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया ॥
मजहबों से परे जा हर कौम को आदर दिया ।
इस देश में हर मजहब ने प्यार अमन को जिया ॥
हमने विश्व से आतंक ख़त्म करने का अहद लिया ।
बंगबंधुओं से, अफगानों से, पूछ हमने क्या क्या नहीं किया ॥
हमें लाहौर शांती की रेल भेजना आता है ।
तू छुरा घोंपे तो कारगिल भी करना आता है ॥
मुल्क में जमुरियत फिर से दस्तक दे रही है ।
बेनजीर को लुटा के इंसानियत भी रो रही है ॥
सात समुन्द्र दूर बैठा तेरा आका आज तुझे जान गया ।
हम कुछ भी ना करें दुनिया का थानेदार तो डंडा तान चुका ॥
कुरान-हदीस के पाक फतवों को भुला तू कुफ्र की वकालत कर रहा है ।
अपनों को भड़का के तू उन्हें क्यों नापाक नाकाम बदनाम कर रहा है ॥
दुनिया कहाँ से कहाँ तरक्की कर गयी तू भी इसे जान ले ।
झूट बोलना आतंक बोना- लाशे काटना गलत है मान ले ॥
रमजान के पाक महिने में सिजदाकिया तूनेअब कुफ्र से तौबा मांग ले ।
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की,तरक्की की डगर थाम ले ॥
मत ले इम्तहान नहीं तो तू पछतायेगा ।
कसम से हम उठ गए तो कौन बचायेगा ॥
भारत वासियों मत घबराना सब तुम्हारे साथ है ।
हम एकता, सावधानी, कठोरता, निरभ्यता, सद्भाव है ॥
हिम्मत रखना मत घबराना आतंकियों को सबक सिखाना है ।
जनगनमन, सत्यमेवजयते और वन्देमातरम गाना है ॥

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