हे परमेश्वर
अजर अमर सर्वेश्वर
तेरी कायनात सुंदर मनहर दुखहर
कलकल करती नदियाँ चहचाहते व्योमचर
सुंदर बगिया के रंग बिरंगे पुष्प मनोहर
तेरे नाम की मधुर तान से व्याप्त यह चर
तेरे हम दास कृपा के पात्र
दया कर करुणा कर प्रदान कर
दीन दुखी के काम आऊं तेरा नाम कर देश
धर्म पर जान दूँ तेरा ध्यान धर
जब तेरा आवाहन हो
मेरे लिए पुष्पक वाहन हो
यम् दूत का पलायन हो
विष्णुलोक का निर्धारण हो
वापसी का रस्ता बंद कर
भेजे भी तो यह हमारी सुन कर
हमें पुनः मानवरूप से संवार कर
मन में तेरे ज्ञान की ज्योति उजाल कर
नहीं तो कसम तुझे .....................
धरती पर भेजने की टाळ कर
Saturday, June 14, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment