आँखें भीगी हों या मुस्कुराती हुयी
पलकें भीगी हों बंद हों खुली हों या सुखी हुयी
जागते को जगा के दिखाओ
सोते को तो कोई भी जगा सकता है
आँखों ही आंखों में इशारा
खतरनाक हो भी जाता है
पलकों के झपकने से यार्रों
पिटने का सबब भी आता है
तुम्हे सुनाते है एक वाकया -
सोचना की वहां पर क्या हुआ
एक गाँव में शोर मचा
- चल गयी
भीड़ इकट्ठी हो गयी
जांच चालू की गयी
पुलिस को सूचना गयी
गारद आ के लग गयी
अखबार वाले आ गए
केमरा विडियो चालू किया
सवाल सबपे कायम हुआ
कहाँ चली
किस पे चली
क्यों चली
किस से चली
सब इधर उधर देखने लगे
एक दूसरे से पूछने लगे
तो एक लड़की ने पीछे से कहा
सबने इत्मिनान का सांस लिया
लड़की ने कया सुनाया?
जो सब को इतना मज़ा आया
कहा उसने - चल गयी
मेरे आशिक की आँख पडोसन से लड़ गयी
मैं आपे से बाहर थी
आशिक से खफा और परेशान थी
बेचारे आशिक की शामत आई थी
रात उसकी आँख दुखनी आई थी
पड़ोस से दवाई मंगवाई थी
दवा डलाते दर्द हुआ
आंखों का झपकना तल्ब हुआ
उसकी तो झपक गयी
और मैं ना जाने क्या समझ गयी
मेरी गलती हो गयी
माफी- आप को गलतफहमी हो गयी
गोली नहीं मेरे आशिक की आँख चल गयी
Tuesday, June 10, 2008
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