Sunday, June 1, 2008

गेसुओं का कैदी

मुझे तो तेरी आंखों ने इतनी पिलादी की मुझे होश नहीं
तुने कहते हैं किया मुझे बर्बाद मुझे खबर नहीं ॥

मैं तो तेरे गेसुओं का कैदी था तुने कब रिहा किया
मैं तो तेरी आँचल की खुशबू में डूबा था कब बाहर किया ॥

मैं तेरा आशिक था हुस्न की मलिका
गम नहीं तुने ही इस नाचीच को बर्बाद किया ॥

गुलशन में कितनी ही कलियाँ चटकी,
हर् आवाज पे मैं यह समझा तुने ही इरशाद किया ॥

तू मुडके देखेगी इस आशिक को जान ए मन,
तुझको मालूम होगा तुने खुद से ही बेवफाई का आगाज़ किया॥

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