क्यों मांगू मैं भीख सा जो है अधिकार मेरा !
क्यों स्विकारू मैं दया सा आत्म सम्मान है मेरा !
क्यों समझते हो स्वं को सबका सर्वेसर्वा !
मैं जन्मा नही जन्मी हूँ मैं
तो कोई अपराध नही है एक मानव हूँ मैं
और अधिकार है मेरा पाना एक मानव का सम्मान !
मांगने से कया भीख मिलती है
आम तौर पर दुत्कार मिलती है
आशीर्वाद और अधिकार में ज्यादा अंतर नहीं होता
एक मांगना ही पड़ता है गुरुजनों सेऔर दूसरा छिनना है पड़ता
जन्मा या जन्मी में क्या अंतर है
एक नर एक शक्ति है
हर युग में तानाशाह देखे हैं
उनके उत्कर्ष और पतन भी देखे है
हिटलर ने क्या पैदा हुई को ही मारा था
यवन कन्या ने तो चन्द्रगुप्त को स्वीकारा था
तुम मानव हो
जीना अधिकार है तुम्हारा
सम्मान की दुगनी हक़दार तुम
तुम ने मानव धरती पर उतारा
Sunday, June 1, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment