Monday, June 23, 2008

बेवफा के ख़त का जवाब


मैंने एक ख़त लिखा था तुम्हे परेशानी में
कौन जाने की तुम्हे याद भी है की नहीं

मैंने लिखा था जरूरत है सहारे की मुझे
वोह सहारा जो तुम दो तोह इन्य्यात होगी

मैंने लिखा था मेरा कोई नहीं दुनिया में
मैं गई थी आकाश में बादल तनहा

जैसे बसती में किस्सी मोड़ पे पीपल तनहा
जैसे मुरझाया हुआ कमळ कोई पानी में

मैंने लिखा था ये तुझे मालूम न था
"मैं तुम्हे रूह की जागीर नहीं लिख सकती
ख़त तोः लिख सकता हूँ तकदीर नहीं लिख सकती

भूल जाना की खता होगी नादानी में
में एक ख़त लिखा था तुम्हे परेशानी में
कौन जाने की तुम्हे याद भी है या की नहीं


तुमने तो दसिओं ख़त लीखे ते इजहार ए प्यार को
कोन से ख़त को सुना रहे हो अपने दिल दार को

आज भी हमारी रात वोही ख़त पढ़ पढ़ गुजरती है
पढ़ते हैं ख़त और तस्वीर तुम्हारी सामने पसरती है

तुम्हारी परेशानी का सबब फरेबी है
वफादारी तुम से दूर पास लालच और बेसब्री है

इस लिए तुम कहानी सुनाते हो
जब दुसरे की बाँहों में जगह नहीं मिली
तो अपने खतों का वास्ता बताते हो

हम ने तभी तुम्हे आगाह किया था
चिडीया सोने का पिंजरा और सयाद को याद किया था

आज भी कुछ बिगडा नहीं
हम बदले नहीं तुम वापस वहीँ

तुम हसीं हम जवान वल्लाह कया बात है
ख़त मत लिखो चले आओ आज पूनम की रात है

तकदीर की बात करो मत आगाज ए तकदीर हैं हम तुम्हारे
सात जन्म तक का वादा रहा हम ही हैं पीर पैगम्बर तुम्हारे

क्या मिला जीन्दगी में ?

मिटता नहीं दिल का अँधेरा कभी उजालो से.......
बदलती नहीं दुनिया कभी ख्यालों से.......
क्या मिला है तुमको इस जिन्दगी से,
पूछना कभी अपने उलझे हुये सवालों से

चाँद जैसे तुम दिल में,
तो अँधेरा कहाँ ख्यालों में
इबादत तो जमी पे खुदा

पूछते हो ..............

क्या मिला है हमको इस जिन्दगी से,
पूछना कभी उलझे हुये सवालों से.......

सोचा और जवाब आया................

हम किस लायक, औकात से ज्यादा दिए रब,
हम नाशुक्रे, एहशान फरामोश, उसे ही भूल गए
सब कुछ दिया दुनिया बनाने वाले ने सब को
लालच और हवस में उसके
कारनामे बेमाने हो गए

राधा श्याम

कान्हा तेरे रंग भरे नैन रसीले
पिताम्बर छटा शोभित कजरारे नयन कटीले॥
मैं बावरी डोर फिरत इत् उत ज्यों विरहिन चोट चुटीले
ब्रज में मच गयी धूम तेरे सैनं बाण नुकीले
भौहं कमान तान कस राधाज्यु के मारी ।
घायल कर डारी ब्रिजनारी नयन चले तेरे छैल छबीले
"सखी" फँसी लख राधावल्लभ बाँकी चितवन
करो रास कुञ्ज वनन में धर ललित रूप गरबीले
श्याम पत राखो "सखी" की ।
द्रोपदी की राखी जैसे मद्ध कौरवं हटीले ॥

॥ राधे राधे ॥

Saturday, June 21, 2008

पत्नी महिमा

नमो -नमो पत्नी महारानी ,
तुम्हारी महिमा कोई न जानी ।।

हमने समझा तुम अबला हो,
पर तुमतो सबसे बड़ी बला हो।।

हे देवी तुम पुरी मैं अधुरा तुम तो वंशपुर्णा हो
तुम्ही रात तुम्ही दिन तुम्ही अन्नपुर्णा हो ॥

डोली में बैठ तुम अर्धांगिनी आई थी
जैसे बला रेशम में लिपट दिल पे छाई थी ॥

जबसे तुम मेरे घर आई हो
दोस्त छूटे भाई फूटे तुम भी बनी हरजाई हो ॥

जिस दिन हाथ में बेलन आवे
उस दिन पत्नी खुब चिल्लावे ॥

सारे बेड पे पत्नी सोवे ,
पति बैठ फर्श पर रोवे ।।

जय जय पत्नी गाथा
बाप ने पढ़ी बेटा गाता ॥

कभी पति को मोका आता
चरण दबाने का पुन्य भी मिल जाता ॥

पति थका जब घर जब आता
देख तुम्हे कमल सा खिल जाता ॥

फिर जब तुम शुरू हो जाती
आस पड़ोस सास ननद सब सुनाती ॥

पहली तारीख हर महीने आवे
पति की पूजा पत्नी कर जावे ॥

वेतन पे अधिकार तुम्हारा
पुरे माह पति भिकारी और बेचारा ॥

उसके सास ससुर की सेवा खुब करे तू
अपने सास ससुर को भूल जाये तू ॥

तुमसे ही घर मथुरा काशी ,
और तुमशे घर सत्यानाशी ।।

पत्नी महिमा जो नर गावे ,
सब सुख छोड़ परम दुःख पावे॥

हाथ जोड़ सर झुका करता मई तुम्हे नमन
कृपा करना, क्षमा करना, पालना सातों वचन ॥

फल प्राप्ति ..................

पत्नी के नाम में बड़े गुण सुनलो धर के ध्यान
जो ध्यावे घर शांती सुख पावे पुरे होत अरमान ॥

Friday, June 20, 2008

बकरा

सादर वंदन - देवकीनंदन 
तुमने दफ्तर का जिक्र किया
उस मोटे 'बकरे' का फ़िक्र किया

हाँ, बकरे से याद आया
शायद उसका भी खून लाल होता है
जब कटता है तो चीखता चिल्लाता भी है

कलमा सुनाने को मौलवी वहां होता है
फिर भी बकरा तो वहीँ दौखज पाता
और मौलवी 'वहां' जाता है

जिस लाल धुएँ वाले शहर की आप बात करते हैं
मैं उसका बाशिंदा हूँ .............

लाल आँखे,
लाल फितने,
लाल बच्चे,
लाल ताऊ
लाल कपडा,
लाल हथियार
और ना जाने क्या कया
लाल लाल
इस शहर में देखा है

शर्म से झुकी
लालच से भरी,
आतंक से डरी,
काम से थकी,
गौरी से लड़ी
इंतज़ार में पस्त
चिंता में ग्रस्त
प्रभु आनंद में मस्त
नशे में लस्त
आसमा से गिरते डस्ट से ग्रस्त
हवा का झोंका भी
लाल आस्मां और लाल धुएँ सा दिखता है

इसलिए मैं कहता हूँ ......
बोलने वाले मुख से सहायता करनेवाला
हाथ ज्यादा पाक होता है

Wednesday, June 18, 2008

पूनम


पूनम की रात आई कोई गीत गाने दो
तारों की बारात आई साजन को रिझाने दो

सुबह भोरों ने कलियों से प्रीत लगायी
और हमें भी आपकी खुशनुमा याद आई

यह तराना तुम्हारे दिल को छू जाने दो
दिल के जज्बात लिख डालो और नज्म बन जाने दो

अगर हमारी याद आये तो कोने में छिप आंसू ना बहाना ....
भूलीबिसरी या टूटी फूटी ही सही प्यार की आवाज आने दो

Tuesday, June 17, 2008

शुभ कामनाएँ

शुभ कामनाएँ

कल मुलाकात हुई आज बात हुई
तुम बड़े मुकद्दर वाले हो जो मिलते ही बरसात हुई ॥

हमें नसीब मिला बधाई गाने का
तुम्हे जन्मदिन मुबारक सुनाने का ॥

और तुम्हारे नाम से मिठाई खाने का
मदिर में जा के सिजदा कर सिर झुकाने का ॥

जब अरदास कर रहे थे मंदिर में, एक आवाज आई
मेरे भक्त की अरदास कबूल, उस को बता देना भाई ॥

हम आशीर्वाद देते हैं जन्मदिन पर उनको
फलेंगे फूलेंगे छुएंगे आसमा को ॥

जियेंगे १०००ओँ साल कोई सुबहा ना करना
हर साल में दिन होने ५०,००० यकीं करना ॥

हर वरस लगेंगे मेले जन्मदिन मनाने को
खुशियाँ मनाने को गीत गाने को, मिठाई खाने को ॥

जन्मदिन पर मित्तल परिवार की और से हार्दिक शुभ कामनाएँ ॥

Monday, June 16, 2008

आज

आज की सुबह.............. तुम्हारे साथ ।
आज की शाम ................तुम्हारे नाम ॥
आज की खबर ..............१०० की खुद गयी कब्र ॥
आज का सवाल ............दोस्त कया है हालचाल ॥
आज का दर्द .................क्यों होगये सब नामर्द ॥
आज की आशा .............नयी राहें पूरी अकांषा ॥
आज के बच्चे ...............सिरफिरे कान के कच्चे ॥
आज का इश्क ..............सुबह बीबी शाम को मिस ॥
आज का दुश्मन ............इर्षा, लालसा और चलता मन ॥
आज की दौलत .............ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान ॥
आज का मान ............... पैसा ताकत और अभिमान ॥

Saturday, June 14, 2008

भगवान से अरदास

हे परमेश्वर
अजर अमर सर्वेश्वर

तेरी कायनात सुंदर मनहर दुखहर
कलकल करती नदियाँ चहचाहते व्योमचर
सुंदर बगिया के रंग बिरंगे पुष्प मनोहर
तेरे नाम की मधुर तान से व्याप्त यह चर

तेरे हम दास कृपा के पात्र
दया कर करुणा कर प्रदान कर
दीन दुखी के काम आऊं तेरा नाम कर देश
धर्म पर जान दूँ तेरा ध्यान धर

जब तेरा आवाहन हो
मेरे लिए पुष्पक वाहन हो
यम् दूत का पलायन हो
विष्णुलोक का निर्धारण हो

वापसी का रस्ता बंद कर
भेजे भी तो यह हमारी सुन कर
हमें पुनः मानवरूप से संवार कर
मन में तेरे ज्ञान की ज्योति उजाल कर
नहीं तो कसम तुझे .....................
धरती पर भेजने की टाळ कर

गुरु वंदना

गुरु गोविन्द दोनो खडे काके लगूँ पाये
बलिहारी गुरु आपनो जो गोविन्द दीयो मिलाये

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरु देवो महेश्वर:
गुरु साक्षात् परा ब्रह्म त्स्मये श्री गुरुओ नमः:

सात समुंद की मस्सी करूं लेखनी सब वन राय
धरती सब कागद करूं गुरु तेरो वर्णन कियो ना जाये

कबीर बैठा छत पे जोर जोर चिल्लाए
देखो गुरु आ गए कोई पांव धोवो जाये
मैं तो माटी का लोंदा मुझे मूरत दीयो बनाए

कबीरा तेरी वाणी बोले राम के नाम
किसने तुझे बोल्यो तू भज राम को नाम

...........कहे कबीरा सुन भाई साधो
मेरे गुरु तो तर गए और मुझे दे गए जपने को नाम

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कुछ ना होते हुए भी हंसाते है दुनिया
कुछ सब कुछ होते भी दुनिया के अन्देसे से जलते है मिया

हमारी तो कुछ बात ही और है, तुम्हारे दिल मैं रहते हैं हर लह्मा
तुम्हारे दिदार को तरसते हैं बाकि तो बेकार है दुनिया

शिव महिमा

आज महाकाल की महिमा गाते हैं
उज्जैन वासी को याद कराते हैं ॥

हे मेरे साथी मेरे दोस्त मेरे भाई
क्यों भूल जाता है तू सच्चाई ॥

मौत तुम्हारी पडोसन है सावधान रहना
शिप्रा इंतजार में है छिपे रहना ॥

भस्म आरती तुम्हे पुकारती है जाते रहना
महाकाल के चरणों तक ठीक
..................... त्रिकाल द्र्स्टी से बचके रहना ॥

हमें क्या ड़र दिखाते हो महाकाल का
हमें क्या गीत सुनाते हो शिप्राघाट का ॥

हम तो महाकाल के रूप है
भस्म आरती के प्रारूप है ॥

ब्रह्म विष्णु शंकर सब एक हैं
सबके विराजमान होने के स्थान अनेक है ॥

त्रिकाल हमारे भाल पे है
बम बम हमारे गाल पे है
शिव शिव हमारे लबों पे है
ओंकार हमारे कंठ में है
मंदसोर पशुपति अगल में है
रामेश्वेर बगल में है
नीलकंठ के हम सेवक है
केदार हमारे सिर पे है
अमरनाथ हमारे रक्षक हैं
हम उनके बालक वोह हमारे पालक हैं ॥

गणपति को प्रथम सुमिरते हैं
उमा कार्तिक्य की आराधना करते है

नंदी की महिमा गाते है
भैरव की सांकल बजाते है

बजरंग के गुरुज्ञान की आमना करते है
हरदम शिवधाम की कामना करते हैं ॥

जन्म दिन भोले का हर साल आता है
पुरा विश्व जीसे जोरो से मनाता है

शिवरात्रि और सावन में भोले पर कावड चढ़ते हैं
हम शिव भक्त शंकर बूटी का सेवन करते हैं ॥

भोले ओढ़रदानी बड़े कृपालु हैं
धन दौलत राज - पूत देते बड़े दयालु है ॥

जय जय भोलेनाथ सदाशिव गंगाधर महाकाल हरे
तीन लोक धरती पर बसाय खुद मसान में वास करे ॥

हे प्यारे सुन हमारी -या तो तू दोस्ती स्वीकारे
या आ जा करने दो दो हाथ अखाडे में हमारे ॥

Friday, June 13, 2008

पितृदिवस पर एक प्रण

पिताश्री इस पितृदिवस के पावन अवसर पे नमन करता हूँ
स्मरण अपना बचपन और आपका कन्धा आज भी करता हूँ॥

एक दिन दादी ने मुझे बतलाया था
कितने मंदिर तीर्थ घुमे तो मुझे पाया था॥

मेरे जन्म पर आपने पूरे गाँव में बधाई बाटी थी
खुशिओं की सौगात और मिठाई भी बाटी थी॥

मेरे स्कूल जाने पर कितनी बलैयां ले डाली थी
पास होकर आने पे कितनी शाबाशीयां दे डाली थी॥

माँ मेरी शरारतों से थक तुम्हारा इंतज़ार करती थी
तुम्हारे नाम को ले ले मुझे डराया करती थी ॥

तुम उनको सुन अनसुना करते थे
राजा बेटा अच्छा बेटा कह मुझे समझाया करते थे॥

याद आता है मेरा साइकल से गिर जाना
मेरी चोट देख जैसे तुम्हारी जान निकल जाना॥

सर्दी गर्मी धुप छाओं से मुझे बचाया करते थे
मेरे हर सवाल का जवाब हर मुश्किल सुलझाया करते थे॥

जिन्दगी के हर मोड़ पर मैं ने आपको पाया था
मेरे 'प्यार' को ठुकरा के भी फिर दोनों को अपनाया था॥

कितनी ही बार आप भी झुंझलाते थे
बाप बनुगा तो पता चलेगा कह थक जाते थे॥

आज जब मैं भी जवान बेटे का बाप बना हूँ
आपके कदम के निसानो पे खडा हूँ ॥

आपके पोते से मैं भी रूठ जाता हूँ
बेटा बाप बनोगे तो याद करोगे बोल जाता हूँ ॥

दादा जैसा बनो उन्हें स्मरण करो उसे याद दिलाता हूँ
अपने जवाब - उसके मुख से सुन शर्माता- पछताता हूँ ॥

बाप बेटे के सवाल का सो बार जवाब देता है
बेटा बाप के एक सवाल दुबारा आने पर सनकी, बुढा बोल देता है ॥

पितृपक्ष पर सुबह तर्पण करता है श्राद्ध करता ब्रह्म भोज करता है
उसही आदरणीय के अधूरे कामो से मुख मोड़ लेता है ॥

मैंने भी एक प्रण किया था इस जिन्दगी का
अच्छा बेटा बन आपके स्वप्न पूरे करने का ॥

लेकिन क्या मैं आपकी आकांक्षा पूरी कर सका हूँ
आज जिस मुकाम पर हूँ क्या आपकी ऊंचाई तक पहुँच सका हूँ ?

अगर कोई ख़ता हुई हो तो मुझे माफ़ करना
मेरा प्रण है आपकी भावना और इच्छा पूर्ण करना ॥

आज इस पितृदिवस मैं नमन करता पुष्प चढाता हूँ
आशीर्वाद की कामना और श्रद्धा का विश्वास दिलाता हूँ ॥

Wednesday, June 11, 2008

पिता को श्रधान्जली

बापू को नमन 

पिता के रूप में राष्ट्रपिता का स्मरण करता हूँ आजादी की सांस ले रहा हूँ नमन करता हूँ 
 
  हे युग पुरुष अगर तुम आज होते
हम एक दुसरे के कांधे पर सिर रख रो रहे होते

क्या आजादी का परचम इस लिए लहराया था
देश में काले अंग्रेजो का शासन,क्या तुमने चाहा था? 

तुझे आज अफ्रीका भी नमन करता है 
वंशवाद रंगभेद छोड़ वोह लोकतंत्र में विचरता है 

 नमन करता हूँ तेरी गोलमेज सम्मेलन की तस्वीर को नीलों से संग्राम और जेल की तदबीर को 
 
चौरीचौरा पे तेने अहिंषा का सन्देश दिया 
तेरी हिम्मत थी जो तुने आन्दोलन वापिस लिया 
  
हे राम के तेरे शब्द आज भी गूंजते कान में 
कोन याद करता गोडसे, स्वर्ग से क्षमादान दे 
  
सत्य अहिंषा बकरी चरखा तेरे निसान थे 
पूरे देश के भ्रमण ने दिए तुझे अनुमान थे 
  
तिलक गोखले पटेल नहरू ने तुझे सरहाया था
अंग्रेजों को तेरे असहयोग आन्दोलन ने थर्राया था 

 प्यारे बापू - देख तेरे चेले तुझे भूल गए 
खादी भूली चरखा भुला 
गाय बैल बछड़ा भूल गए 
  
जाति नस्ल आतंक का
 बवंडर छा गया है 
देश कर्जदार हो गया 
किसान आत्महत्या कर रहा है 
  
हे बापू आज पितृदिवस पर हम 
तुम्हे नमन करते है 
हे बापुओं के बापू 
 तेरे आशीर्वाद की कामना रखते है

Tuesday, June 10, 2008

चल गयी ...................?

आँखें भीगी हों या मुस्कुराती हुयी
पलकें भीगी हों बंद हों खुली हों या सुखी हुयी

जागते को जगा के दिखाओ
सोते को तो कोई भी जगा सकता है

आँखों ही आंखों में इशारा
खतरनाक हो भी जाता है

पलकों के झपकने से यार्रों
पिटने का सबब भी आता है

तुम्हे सुनाते है एक वाकया -
सोचना की वहां पर क्या हुआ

एक गाँव में शोर मचा
- चल गयी

भीड़ इकट्ठी हो गयी
जांच चालू की गयी
पुलिस को सूचना गयी
गारद आ के लग गयी
अखबार वाले आ गए
केमरा विडियो चालू किया
सवाल सबपे कायम हुआ

कहाँ चली
किस पे चली
क्यों चली
किस से चली

सब इधर उधर देखने लगे
एक दूसरे से पूछने लगे

तो एक लड़की ने पीछे से कहा
सबने इत्मिनान का सांस लिया

लड़की ने कया सुनाया?
जो सब को इतना मज़ा आया

कहा उसने - चल गयी
मेरे आशिक की आँख पडोसन से लड़ गयी

मैं आपे से बाहर थी
आशिक से खफा और परेशान थी

बेचारे आशिक की शामत आई थी
रात उसकी आँख दुखनी आई थी
पड़ोस से दवाई मंगवाई थी

दवा डलाते दर्द हुआ
आंखों का झपकना तल्ब हुआ

उसकी तो झपक गयी
और मैं ना जाने क्या समझ गयी
मेरी गलती हो गयी
माफी- आप को गलतफहमी हो गयी

गोली नहीं मेरे आशिक की आँख चल गयी

Monday, June 9, 2008

दादागीरी का जवाब

आज जिधर देखो उधर अंकल साम
चाहे पूर्व या पश्चिम जिधर देखो उधर दादागीरी मचा रहा है
यानी इस दुनिया में दादा का शोर हो रहा है
पता है दादा यह सब क्यू कर रहा है;
शायद दुनियाँ को दादा-११ सितम्बर का तोहफा बाँट रहा है!

नहीं यारों ........................

दादा बुढा हो गया है
दादा सठिया गया है
दादा कमजोर हो गया है
दादा खांस रहा है
दादा टूट रहा है
दादा बुझते चिराग की आखिरी लौ की तरह चमचमा रहा है
दादा तोहफा नहीं अपनी बदकिस्मती बाँट रहा है


देखो दादा का सांड इधर आ रहा है
दादा ही नहीं उसका गुर्गा भी गुर्रा रहा है
दादा की शह पर इतरा रहा है
हम पीटते हैं फिर भी गरिया रहा है

अफगान बांग्ला देख कर भी पगला रहा है
लालकिले पर चाय पीने का ख्वाब उसे आ रहा है
हम दादा के दादा - उस के बाप
...............वोह भुला जा रहा है

Wednesday, June 4, 2008

कामना

मेरे गुलशन के सुमन

मेरी आँखों के भुवन

मेरे जीवन के हमदम

मेरी सांसो की सरगम

मेरे दिल की धड़कन

मेरी कामना सरवम

तुम्हारा साथ रहे हरदम

राधे राधे



गौर श्याम की मंद हँसन लखि,
ऐसो कौन जो धीर ना धरैगो

मौर मुकट कटी काछनी तिरछी चितवन द्रग,
दौड़ आरती कुञ्जबिहारी की लैवेगो

मीरा सूर खान रस में रस,
सखियन संग ब्रिन्दावन में जाये बसेगो

जय बिहारी जय कान्हा जय गिरिधारी की
तान लगा द्रग नीर भरैगो

मंगल में जाईके, राधा वल्लभ दर्शन पाइके
ब्रिन्दावनवास सफल करैगो

बोली बिशाखा गोपियन के संग, राधाप्यारी के वचन,
ये प्रेमी भवसागर पार लगैगो

'सुन री सखी' तू कर पार ताल तल्लिया,
मेरो तो जीयो श्याम चरणों में ही बसैगो


राधे राधे

Tuesday, June 3, 2008

इल्तजा ए महोब्बत

उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है,
साथ ही दोस्ती का वास्ता भी लिखा है
उसने ने ये भी लिखा है मेरे घर न आना ,
और साफ लफ्जों में रास्ता भी लिखा है

यह तो सब इश्क के लटके झटके है,
इनकार में ही इसरार छुपा होता है

अपनों से ही रूठना और बेरुखी जतलाना,
माशूक को मनाने का पैगाम होता है

यह तो हमारे इश्क का जलवा है
बेवफाई नहीं प्यार का फलसफा है

तुम कदम रखती हो गर्म जमी पे दिखाने
को यहाँ अंदर हमारा दिल दहक पड़ता है

तुम्हे गुमा है अपने इश्क की बुलंदी का
तो यहाँ कोन जालिम कसर रखता है

आसमा में सीतारे लाखों होंगे
चाँद तेरे जैसा एक ही निकलता है

तू ही खाव्बों की मलिका मेरी
तेरी ही याद में हर पल गुजरता है

एक ही तस्वीर रक्खी है दिल के आयने में हमने बेशक
हम भी जरुर होंगे तुम्हारे दिल के किसी कोने में

हक़ और शुबा छोडो इशारा समझो
जानेमन उड़ के चले आओ

तुम्हारी इंतज़ार में दिल
मशाल की तरह जलता है

तुम्हारे इश्क की बरसात में भीगने को
....................यारां यह बेचारा तडपता है

बासर और पीसर [बादशाह और बेटा]

'बासर'(बादशाह) ताऊ तू चमार तो
मैं चमार का 'पीसर'(बेटा)

मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा
तेरे नाम में छुपा है सारा

अम्बेडकर, कांशी माया का दुलारा
कुनबा कनकदास रैदास पेरियार का हमारा

देख मेरे साथ कौन खडा है

मेरा नसीब से तेरा आर्शीवाद बड़ा है

भगवान भी तू रहमान भी तू
पर पहिले इंसान है तू

लंका में जब पैर पसारा
हनुमंत ने विभीषण को उच्चारा

हम कोन बड जाती होई
बानर वंश कंदरा में सोयी

प्रात लेही जो नाम हमारा
पूछे ना कोई न मिले आहारा

जात पात पूछे न कोई'
हरी को भजे सो हरी का होई

इसलिए तुम मेरे संदिपन, वशिष्ट परशुराम हो
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु भगवान हो

दोनो खडे होंगे साथ गुरु और भगवान
पहेले पूजा करूं तेरी जो मिला दियो भगवान

Monday, June 2, 2008

चाँद के दीदार

तुम आये तो आया मुझे याद की गली मैं आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद गली मैं आज चाँद निकला..........

आशिक तो माशूक में चाँद का अक्स देखता हैं
चाँद तो हुजुर का दिलबर है हर रोज़ निकलता है

आपको आयना नहीं मिला जो चाँद देखने का वक्त मिला है
चाँद का कसूर नहीं कि आशिकों को कभी कभी दिखता है

अगर इशारा हमारी और है तू हुजुर चाँद तो आप हैं
आप जब भी निकलोगे हमें खडा पाओगे हम आपके फर्मायेदार


आपका लिखा देखा तो हम लिखना भूल गए
आपके विचार समझे तो अपने विचार भूल गए

इश्क ने जालिम निकम्मा कर दिया
वर्ना आदमी हम भी थे काम के

तुम्हारी वाहवाही हमारा फक्र है, इनाम है
हम लिखते हैं तुम्हारे सदके , तुम बैठो दिल थाम के

मैं बैठ तो नहीं सकता हूँ
लिखने वक्त की मजबूरियो ने थाम लिया

आप् लिखते रहें डाक्टर स०
हम पढेंगे दिल थाम के

यह तो तुम्हारा जज्बा और रिश्ता हमें मदहोश करता है
हम तो दास्ताँ लिख गए मदहोशी में तुम्हे खुदा मान के

सत्य की राह


क्यों हीमाकत कर रहा है सच बयां करने की तू
देखना टकराएंगे माथे से कुछ पत्थर मीयाँ
पांव नंगे हैं, चले हम ग़र्म रेती पर सदा
और कांधों पर सलीबों का रह लश्कर मियाँ

बड़ी कठिन है डगर सत् पर चलने की

हर सत्यवादी ने दुनिया को झेला है
सच्चाई के लिए चलना अकेला है

परवाह नहीं हमें गर्म रेत के तूफान की
झूट के मुलम्मो की या पत्थरों के सैलाब की

अगर यह हिमाकत है तो भी ठीक है
सलीब कंधो पे हो सच्चाई की जीत है

बहुत झेला है हमने इस जालिम ज़माने को
आतंकियों को अत्याचारियों को झूठे और मक्कारों को

फीर भी आप जैसो ने हौसला बढाया है
साथ चल हमारे- आफ़तों से बचाया है

जान पर खेलेंगे हम आफते झेलेंगे
अहद हमारा है सच की डगर न छोडेंगे

Sunday, June 1, 2008

स्वाभिमान

क्यों मांगू मैं भीख सा जो है अधिकार मेरा !
क्यों स्विकारू मैं दया सा आत्म सम्मान है मेरा !
क्यों समझते हो स्वं को सबका सर्वेसर्वा !
मैं जन्मा नही जन्मी हूँ मैं
तो कोई अपराध नही है एक मानव हूँ मैं
और अधिकार है मेरा पाना एक मानव का सम्मान !




मांगने से कया भीख मिलती है
आम तौर पर दुत्कार मिलती है

आशीर्वाद और अधिकार में ज्यादा अंतर नहीं होता
एक मांगना ही पड़ता है गुरुजनों सेऔर दूसरा छिनना है पड़ता

जन्मा या जन्मी में क्या अंतर है
एक नर एक शक्ति है

हर युग में तानाशाह देखे हैं
उनके उत्कर्ष और पतन भी देखे है

हिटलर ने क्या पैदा हुई को ही मारा था
यवन कन्या ने तो चन्द्रगुप्त को स्वीकारा था

तुम मानव हो
जीना अधिकार है तुम्हारा

सम्मान की दुगनी हक़दार तुम
तुम ने मानव धरती पर उतारा

थमी जिन्दगी

रमता जोगी बहता पानी स्वीकार है
रुक गयी जीन्दगी का ये कोई प्रकार है ॥

जरुर कुछ कमी है तुम में
या किस्मत रूठ गयी है तुम में ॥

नहीं तो .....................
बाल बच्चा,
बीबी जच्चा
ताऊ बाबा
बापू - बच्चा
यार -दुश्मन
प्यार- नशेमन
मालिक -नौकर,
अल्लाह- ठाकर ॥

सारे के सारों को तुम में क्या बू आ रही है
या तुम्हारे करमो की गती सामने आ रही है ॥

गेसुओं का कैदी

मुझे तो तेरी आंखों ने इतनी पिलादी की मुझे होश नहीं
तुने कहते हैं किया मुझे बर्बाद मुझे खबर नहीं ॥

मैं तो तेरे गेसुओं का कैदी था तुने कब रिहा किया
मैं तो तेरी आँचल की खुशबू में डूबा था कब बाहर किया ॥

मैं तेरा आशिक था हुस्न की मलिका
गम नहीं तुने ही इस नाचीच को बर्बाद किया ॥

गुलशन में कितनी ही कलियाँ चटकी,
हर् आवाज पे मैं यह समझा तुने ही इरशाद किया ॥

तू मुडके देखेगी इस आशिक को जान ए मन,
तुझको मालूम होगा तुने खुद से ही बेवफाई का आगाज़ किया॥