आंसू बता देते हैं, प्यार कितना है।
बेरुखी बता देती है हमदम कैसा है?
घमंड बता देता है कितना गरीब है?
संस्कार गुरु का नाम बता देते हैं।
बोली बता देती है इंसान की औकात,
बहस बता देती इंसान की सोच।
ठोकर खोल देती हैं आंखे, कितनी ही बार
नजरें बता देती है इंसानी सीरत बार बार
स्पर्श की गर्मी नाप लेती अपनापन
राजा और रंक सभी को वक्त बड़ा बलवान
वक्त तो बदलता है हर इंसान का
कायनात में सब कुछ मुक्कदर
बदल जाती इंसानी आंखे देख दौलत, ताकत और मजबूरी में यानी मिनटों में
बना देती उसी इंसान को शेरू से शेरा और शेरखान।
*समाज तो एक फुलवाड़ी होता है जिसमे भांति भांति के पुष्प होते हैं। कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं।
हमे दो पैर वाला सामाजिक प्राणी कहा माना जाता है और हम में भी कुछ मनोहर, कुछ रोचक, कुछ पाचक, कुछ दवा या जहर भी होते हैं।
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