रंगोली सजाओ यारों,मेरा यार आया है
बड़ा मनचला, रंगीला दिलदार आया है
यादों में उसके, सपने संजोए
न जाने क्यों मन घबराया है
दिल तो प्रियतम से मिलने को आतुर
मचलती नदी सा लहरता पाया है।
न जाने कितने अरमान
संजोए थे, इन आंखों में
कितनी ख्वाइश कितने सपने
छिपे हैं उसके लबों में
उसकी चितवन में झांकने
का आज मौका पाया है।
फूल लगते थे शोला उसकी यादों में
दीपावली मनाओ, यारों, मेरा राम आया है
डा श्रीकृष्ण मित्तल
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