Thursday, November 2, 2023

पत्रकार संदेश

 देख तेरे इंसान की हालत क्या होगयी भगवान 

पत्रकार सा  होता था, नही, कोई महान 


आज कलम का, कागज से, मै दंगा करने वाला हुँ

मीडिया की सच्चाई को, मै नंगा करने वाला हुँ


रामनाथ गोयनका चित्रा जैसे पत्रकारों ने इंदिरा जी को भी नही छोड़ा था 

जीप काण्ड हो या बोफर्स, चारे से भी मुह नही मोड़ा था 


धुल छठा दी थी इस ने, सेंसरशिप के महा पाप को 

नही बक्शते थे कलम के धनी, किसी के भी बाप को 


देश की आज़ादी में, कितने ही ऐसे वीर थे 

रात छापते, दिन में बांटते,ऐसे कितने ही,कलम वीर थे 


सत्य की मशाल, जिनके हाथ में होती थी 

उनसे तो तुरत न्याय की,जनजन को आस  होती थी 


पत्रकार सुन्दरी, नेताओं से विवाह रचने लगी 

बसी बसाई घर गृहस्ती पर, दुश्मन सी दिखने लगी 


आज यह गणतन्त्र का, चौथा स्तम्भ, टुकडो में बट  गया

सत्ता लोलुप नेताओं का, 

विदेशी आकाओं का  

देशी विज्ञापन का 

सत्ता के गलियारों का 

पैसे, दारु सुविधा नारी का   

...................यह तो चाटुकार बन गया

 

चरित्र हनन, ब्लेक मेलिंग, दलाली, धमकी

 ना जाने कब, इनका पर्याय बन गये 

विकास, इन्साफ, सर्वहारा के रक्षक,


 ना जाने कब, सत्ता के गलियारों में खो गये 

लोकतंत्र को खतरा, आज मीडिया रक्षक  हो गये ..


मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था

खबरों की पावनता की, जिसको गंगा होना था


आज वही दिखता है,हमको वैश्या के किरदारों मे

बिकने को तैयार खड़ा है, गली चौक बाजारों मे


दाल मे काला होता है, तुम काली दाल दिखाते हो

सुरा सुंदरी उपहारों की, खुब मलाई खाते हो


गले मिले सलमान से आमिर, ये खबरों का स्तर है

और दिखाते हिरोइन का, कितने फिट का बिस्तर है


म्यॉमार मे, सेना के साहस का, खंडन करते हो

और हमेशा दाउद का, तुम महिमा मंडन करते हो


हिन्दु कोई मर जाए तो घर का मसला कहते हो

मुसलमान की मौत को, मानवता पे हमला कहते हो


लोकतंत्र की संप्रभुता पर, तुमने मारा चांटा है

सबसे ज्यादा तुमने, हिन्दु मुसलमान को बॉंटा है


साठ साल की लूट पे, भारी एक सुट दिखलाते हो

ओवैशी को, भारत का तुम, रॉबिन हुड दिखलाते हो


दिल्ली मे जब पापी वहशी. चीरहरण मे लगे रहे

तुम ऐश्वर्या की बेटी के. नामकरण मे लगे रहे


अब ये दुनिया समझ चुकी है,  खेल ये बेहद गंदा है

मीडिया हाउस और नही, कुछ ब्लैकमेलिंग का धंधा है


हे पत्रकार बन्धुओं 

जागो,  जागो,  जागो, जाग जाओ 

इतनी भी देर ना हो जाये की भुला दिए जाओ 


गुंगे की आवाज बनो, अंधे की लाठी हो जाओ

सत्य लिखो निष्पक्ष लिखो और फिर से जिंदा हो जाओ.

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