Sunday, November 17, 2024

बेटियां

 औंस की एक बंद सी होती हैं बेटियां। 

स्पर्श से दर्द जान लेती रोती हैं बेटियां।।


रोशन करता बेटा एक ही कुल को।

दो दो कुलों की लाज रखती हैं बेटियां।।


बेटा बेटी कोई नहीं एक दूसरे से कम

बेटा अगर हीरा तो मोती होती हैं बेटियां।।


कांटों की राह पर जिसकी अंधेरी डगर

औरों के लिए फूल बोती हैं बेटियां।।


विधि का विधान, समाज की परंपरा

प्रियों को छोड़, पिया घर जाती हैं बेटियां।।


सुना नहीं किसी का बेटा जलाते हुए

सुना यदा कदा जलाई जाती बेटियां।।


देख जिसे मां बाप का दिल हर्षाए

ऐसा मन लेने वाली होती है बेटियां।।


हर  सास ननद जेठानी दौरानी

भूल जाती है कि वोह भी थी,बेटियां।।


पराई को भी अपनी बेटी बनाएं, लाड लड़ाएं

यकिनन सुखी संसार बनाएंगी यह बेटियां।।

Wednesday, November 13, 2024

पुष्पांजलि रजत समारोह पर कुछ यादें

भावना का समुद्र बिना किनारे के होता है।

 डुबोता सबको, मदहोश कर देता है। 

साथ देती हवाएं 

उठती लहर मन को प्रफुल्ल कर जाएं

ऐसा ही समय 25 साल पहले आया

' प्रेम' ने जलवा दिखाया

जन्म हुआ पुष्पांजलि का

सब ने मधुर गीत गाया 


एक करने का जलवा 

' महावीर', ' रामावतार' में समाया 

' पवन'  ' महेश' 'शिवकुमार' भाई

राम भरत लखन की याद आई


' सनत' और  सनत नंदन 'अरुण' 

' रमेश', 'नरेश', 'कर्ण' का वंदन


' अमिताभ', 'ओम', 'गोपी' भी संग

'मित्तल' ने लगा दिया रंग


पुष्पांजलि उपवन का निर्माण 

बन गया मैसूर की शान


भांति भांति के पुष्प 

भव्य निराले महकते दिलवाले


होली रंग बिरंगी 

दिवाली चिरागों से भरी

बीमारों, अनाथों की परवाह करी

राजस्थान का म्हारो प्यारो किया


कृष्ण सुदामा रुक्मणि को 

भागवत में स्मरण किया।

शिवरात्रि पर शिव पार्वती ध्याये

सावन में झूलों का शृंगार किया

डांडिया तो याद बन गया।।


गायों को चारा, 

पक्षी को आहार दिया।

भूखों को अन्न

प्यासे को जल

ठिठुरते को कम्बल

विद्यार्थी को संबल

खेलों को प्रोत्साहन दिया

हर सुख, दुख में

करोना जैसी महामारी में

पूर्ण सहयोग साथ दिया


यादों में झिलमिल चमकते सितारे

कितने ही आए, छोड़ गए, सिधारे


रजत जयंती पर सभी याद आए

विकास और नवीन ने चार चांद लगाए


यह नितांत सत्य है

पुष्पांजलि अमर, शाश्वत है।


स्वर्ण जयंती पर हम कितने ही न रहेंगे

आसमान से निहारेंगे, दुआ करेंगे।

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Saturday, November 2, 2024

आ गई लुगाइयां महरुआ दिलरुबा

 घर में जब से आ गई लुगाइयां

दिल बाहर लगता नहीं मेरे भैया
पुकारती सपने में आती पप्पू की मैया
घर तो रीता बीरान भया
दिन कटत नहीं रात बीतत नाही
जब से वो रूस गई, अपने पीहरुआ
पायल लीनी,झांझर लीनी
लियो गले को कण्ठा
उसकी चाह की चुनरिया लीनी,
लियो मिठाई का डब्बा
मनावे खातिर लियो बीड़ा
नहीं मानी दुलारी महरुआ
दिन बीतो रात भई
छमक छमक आई दिलरुबा
कंठ लगी, सब भुलाए,
ऐसी रूपवती, लुगाइयां
यारों
अधूरी थी जिंदगानी
पतझड़ थी जवानी
सखा, सखी मा बहिन भाई
सबसी अनूठी आई दिलरुबा
पूनम सी चांदनी, दरिया की लहर
भोर की पहली किरण
दिल मे उतर गए,
भेद गए
झरोखे से झांकते कजरारे
जब से आई लुगाइयां
सच में यारों, भूल गए
सब सारे,
रह गई सिर्फ याद में महरुआ

Friday, October 18, 2024

भावांजलि



 🌹🚩 🌹

भारत में हिंदुओं की हालत

नहीं होती अब बखान  

राम, देवी, गणपति भक्तों की

सुनवाई कब होगी भगवान।


कब हम अपने देवी देवताओं के

लाड लड़ाएंगे।

कब हम उनको धूम धड़ाके सेलाएं 

विसर्जित करने जाएंगे।


आज वो तो संसद पर भी अपना

दावा कर बैठे

रेल की पटरी हो या उड़ता जहाज

छोटा बड़ा ढाबा होटल 

पत्थर रख गिराना, थूक मिलाना 

वोह अपना हक समझ बैठे।।


अत्याचार की हद करने को

गली गली में तैयारी में वो बैठे।


कहते थे

मजहब नहीं सिखाता  

आपसे में बैर रखना

आज उनका दावा कि 

बाहर पैर न रखना।


भक्त तैयारी करते विसर्जन की

ढोल नगाड़े, डी जे, अबीर गुलाल

प्रसाद एकत्र करते 

बाल गोपाल, औरत बच्चे

नाचते गाते, उल्लास मचाते

नदी, तालाब सागर की और बढ़ते


ऐसा ही कुछ हुआ 

ना सोचा, ना समझा, 

ना सपने में आया

दुर्गा मां के भक्तों में तो

 था उल्लास छाया।


तभी एक और से पत्थरों की

बरसात आई।

कारण, बंद करो डीजे मत उड़ाओ 

गुलाल की आवाज आई।


देवी मां  पर  पत्थर  बरसे 

ये वो सहन न कर पाया

उसने देखा उस छत पर 

जिहादी झंडा था फहराया 


झंडा नहीं था वोह तो 

दुश्मनों ने था जाल बिछाया। 

एक शेर और कितने ही गीदड़

वीर नहीं था बिल्कुल घबराया।


माता के जयकारे थे गूंज रहे

रणचंडी भक्त में जोश थर्राया।


दौड़  गया  रगों  में उसकी 

मंगल पांडे का वो साया

झंडे  का  रंग  बदलने  को

 तड़प उठी उसकी काया।।


बिजली की गति से वीर मिश्र 

चढ़ा जिहादी की छत पर

हटाया  आतंकी  कपड़ा  

लहराया  भगवा  उस छत पर


पर  घेर  लिया  एक  अकेले  को  

नामर्दों  के  झुंडों   ने

चौबीस  गोलियां  सीने में  दागी  

इन मजहबी  गुंडों  ने


अमर  हो  गया  एक  और 

 धर्म  की  रक्षा  करते करते 

जोश    जगाया   सोये  हिंदू  में  

दीवाने  ने  मरते  मरते 


आज के भगतसिंह सम तुझे मानता

पूरा देश प्रणाम निवेदित कर रहा है

मोदी योगी जाग गए  न छोड़ेंगे तेरे

हत्यारे को अमित का डंडा चल रहा है।

🌹💐🇮🇳🙏

Wednesday, October 16, 2024

टकला

 ना मैं टकला ना तू पूरा टकला

फिर क्यों बजा रहा यह तबला


टकलों की दुनिया न्यारी

इनका टकला बालों पर पड़ता भारी 


झंझट इन्हें नहीं बालों का

सर में जूं, खुश्की, और कंघे का


प्रेमिका को मिलता जो टकला

नहीं ढूंढती बजाने को तबला


लड़ाई में तो हो जाता कमाल

जब रकीब के हाथ में नहीं आते बाल


सफेद, सुनहरे काले बाल

जिनकी टकले नहीं करते सम्भाल।


नाई सेलून की इन्हें क्या परवाह

क्योंकि उगते ही नहीं टकले सिर पर बाल

Friday, October 11, 2024

स्वदेशी दीपावली संदेश

  चकाचौंध में चायनीज की,

 घर कुम्हार का खाली है,

कैसे बोलो फिर कह दूँ ,

की भारत में दीवाली है,


धन तेरस से लेकर जो त्यौहार 

दूज तक जाता है

इतने दिन में ड्रैगन हमसे 

अरबों नोट कमाता है,


हिंदुस्तानी रुपया, जितना चीन को जायेगा,

वही पाक से होकर के वापिस आतंक मचायेगा,


नहीं चाइना की झालर समझो शकुनी के पांसे हैं,

एक एक झालर से ही चलती ड्रैगन की साँसे हैं,


पाक चीन ये परम मित्र हैं दोनों पर आघात करो,

दुश्मन से केवल दुश्मन की भाषा में ही बात करो,


*अब अपने त्यौहारों में न दुश्मन को समृद्ध करो,*

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो*, (१)


हिन्द देश के वासी हो अपने भारत से प्यार करो,

चायनीज की बली चढ़ा निज सैनिक का सत्कार करो,


अपने घर की लक्ष्मी को यूँ ऐसे ना बर्बाद करो,

त्यौहारों के मौसम में न दुश्मन को आबाद करो,


पाक हितैषी चीनी सेना के मंसूबे पस्त करो,

लात मारके सामानों में अर्थव्यवस्था ध्वस्त करो,


चायनीज सामान यहाँ जितने हमने धिक्कार दिए,

समझो उतने दुष्ट पाक आतंकी हमने मार दिए,


मिलकर के सब करो प्रतिज्ञा कड़ी जोड़के रख दोगे,

घर बैठे ही दुश्मन की तुम कमर तोड़के रख दोगे,


*सेना लड़ती है सीमा पे तुम भीतर से युद्ध करो,*

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो,*(२)


मेरे प्यारे देशवासियों तुम भारत के संबल हो,

भूमिपुत्र की आश तुम्हीं हो तुम ही सैनिक का बल हो,

*राष्ट्रभक्ति के नायक भी तुम स्वदेशी अनुयायी भी,*

*सावरकर अरविन्द घोष गंगाधर की परछायी भी,*

*रविन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम की तुम परिभाषा हो,*

*वर्तमान में देश बदलने की तुम अंतिम आशा हो,*

*बालकृष्ण राजीव भाई तुम रामदेव की आँधी हो,* 

*स्वदेशी का साथ निभाने वाले महात्मा गाँधी हो,*

*भरतभूमि की शान स्वयं की संस्कृति के रखवाले हो,*

*तुम होली के रंग और दियों के तुम्हीं उजाले हो,*

*चीनी सेना की ताकत को तुम मिलकर अवरुद्ध करो*,

*मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो,*


इन्हीं पंक्तियों के साथ सभी देशवासियों को धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भैया दूज की शुभकामनायें !

बंट गया तो कट गया

 साथी हाथ बढ़ाना

बट गया तो कट गया

मिल के कर सामना


ढाका में मां के मुकुट पर डाका 

यहां हिन्दू शब्दों पर हांका

कब तक जुर्म सहोगे आका


हम धर्म निरपेक्ष रह गए

लुट गए, पिट गए 

वो बढ़ते गए

हम विश्व में कम होते गए


वोह एक ही सजा 

सर तन से जुदा 

गाते गए


भारत माता की जय 

से मुंह चुरा

लव जिहाद फैलाते गए


हम उन्हें अनजाने में

ना जाने क्यों,

 गले से लगाते गए


उनके विदेशी आका

उन के कुकर्मों पर 

ठठाके लगाते, 

माल लुटाते गए


वो एक मुस्त वोट डाल

सरकारें बनाते गिराते रहे

उनके सरपरस्त हमे

स्वर्ण, दलित, पिछड़ों में

बाँट मलाई चाटते रहे।


अब  हम जगना होगा

मुकुट चुराने वालों से

लव जिहाद फैलाने वालों से

पाक के  नापाक गाने वालों से

बचना होगा। 


'बटेंगे तो कटेंगे'

इस मंत्र को शस्त्र बनाना होगा।

Tuesday, September 17, 2024

जिंदगी का अरमान

 भगवान का शुक्रिया जो आप बच के आए हैं

हमारे पुण्य उदय हुए, जो आपके भी काम आए हैं।


देश को अभी है दरकार आपकी 

हमे नही थी स्वीकार, विदाई आपकी।।


लड़ पड़े हम ईश्वर यमराज से

सावित्री की याद मन में धार के


ईश्वर को बताया, यमराज को हराया

कायनात को हिलाया, तब ऊपरवाले को होश आया


उसने अपनी गलती मानी

हमारी अरदास पर तरसे स्वामी

कुछ ही पलों में स्वर्ग हिल गया

तुम्हारी वापसी का आदेश दिया।


आज आप विद्यमान हैं

आप हमारे माननीय मेहरबान हैं।


आओ इस नव जीवन को सफल बनाएं

दीन दुखी की सेवा का कीर्तिमान बनाएं


अफसोस न हो, वापस भेजने का 

ऊपरवाले को, ऐसा कुछ कर गुजरें

कुछ कर जाएं।।।

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Thursday, August 15, 2024

स्वतंत्रता दिवस पर तराना

 आओ मिल कर गाएं आजादी का तराना

करें सलाम तिरंगे को घर घर फैराना।


आजादी बड़ी कुर्बानियों से पाई थी

कितनो की शहादत रंग लाई थी।


तिरंगे के साए में देश तरक्की कर रहा

शीघ्र ही तीसरी आर्थिक शक्ति बन रहा।


280करोड़ हाथ क्या नहीं कर सकते

विश्व गुरु, सोने की चिड़िया 

क्यों नही बन सकते।


आसमान से गांधी सुभाष निहार रहे

पटेल, किदवई, कलाम संभाल रहे।


मोदी का संकल्प दोहराना है

भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।


तिरंगा चांद पर फेर रहा 

हर एक दिल में फैराना है।


जय हिंद घोष से दुश्मन को दहलाना है।

वीर शिवाजी, प्रताप को भूलो नही

हर बच्चे को भारतीय बनाना है।


भारत माता के चरणों में शीश नवा कर

घर घर में तिरंगा फैराना है।


Saturday, July 13, 2024

कभी बिसरती नही तेरी यादें.... ….

तीसरा साल भी बीता सावन भी पलट पलट आया फिर भी मन रीता पाया।। रहने को सदा इस दुनिया में आता नहीं कोई पर तुम जैसे गई, ऐसे भी जाता नहीं कोई।। डरता हूँ, कहीं सूख ना जाए, आंखों का समन्दर जानेमन, राख अपनी कभी बहाता नहीं कोई।। ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी तुम्हे लेजाने में मौत को सीने से लगाता नहीं दुश्मन भी कोई।। जीवन के प्रवाह में कितने ही पल दुख शोक के आए तुम्हे खोने जैसा ख्वाब कभी आया ही नही।। माना कि, हमारे उजाले, तुमसे रोशन होते थे फिर भी रात में हमने, दिया बुझाया, नहीं कभी।। जमाने से गिला था तुम्हें, या मुझ से शिकवा अब तो कुछ भी याद आता नही।। तुम्हारी तस्वीर मेरा अंबल निहारते रोज उसे, तुम्हे भुला पाता नही।।

Friday, May 24, 2024

फूलों का राजा कमल


खिलते है कीचड़ में कमल, 

देखा मैने कमल तडाग

दूर दूर तक गुलाबी कमल

जो मुरझाते नही, 

चाहे गर्मी हो या सर्दी

सुखा या बारिश।

तैयार होते

चढ़ने को मां भारती के चरणों में।


जलते देखे

गंदे हाथ, झाड़ु आडू भाडू राडू 

कमल की बहार देख कर।

देश का विकास देख कर

मोदी का राज देख कर

फलक पर कमल चढ़ता देख कर।

आती हुई मोदी सरकार देख कर


चार जून को देखेंगे

गंदे हाथ, झाड़ु आडू भाडू राडू 

ठोकते अपना माथा

अपना हश्र देख कर

एक सत्य, एक भविष्य

" आएगा तो मोदी ही"

फिर इस बार 

कमल की बहार

एनडीए की सरकार

Wednesday, May 15, 2024

जीवन चलने का नाम


मैं जिंदगी के गीत सुनाता चला गया।

रास्ते के कितने ही पत्थर हटाता गया।


मंजिल दूर थी साथियों 

थकान, कमजोरी बाधाएं 

खड़ी मुंह बाए

सबको भुलाता चलता गया।।


चला था अकेला

हर मोड पर 

साथी मिलते गए

कारवां बनता गया


कटीले, ऊबड़ खाबड़, रेगिस्तान

पहाड़, नदी नाले, भूल भुलैया 

कपटी, ईर्षालू, टांग खींचने वाले

धत्ता बताता, पार करता चला गया


आज पीछे मुड़ देखता 

शुरुआती दौर

जो मैं, कभी नहीं भूलता

दिखता बहुत दूर 

क्षितिज समान,  

क्योंकि.......


मैं भाग्यशाली

अपनों का साथ

गुरुजनों और प्रभु का आशीर्वाद

मिलता चला गया।


आज इस मुकाम पर पहुंचा 

क्योंकि

हर पल, हर कामयाबी, हर परेशानी

प्रभु चरणों में अर्पण करता चला गया।।

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Friday, April 26, 2024

हिचकी

 

जब भी हमे हिचकी आती है

हमे तुम्हारी भी याद आती है।


शायद तुम याद करते हो।

दिल के किसी कोने में

आज भी हमे रखते हो।


दुनिया के मेले में 

रोज के नए झंझट, झमेले में

यादें खो जाती हैं।


नए रिश्ते, नए दोस्त जो दिखते हैं

पुरानों पर धूल सी चढ़ जाती है।


यह हिचकी बड़ी जालिम है

जो बारंबार अपनों की

यानी तुम्हारी याद कराती है।

Wednesday, April 17, 2024

 विश्वास और चमत्कार


चिंता मत कर, चमत्कार होगा।  

 मोदी इस बार 400 पार होगा। 


कुछ ही दिनों में मथुरा काशी भोजशाला

 ही नही न जाने कितनो का उद्धार होगा।


 वरिष्ट जनों को आयुष्मान मिला

 गौवंश को अभयदान मिलेगा। 


तीन तलाक, धारा 370,35 भूत हुए GYAN (गरीब युवा,आदिवासी नारी)का ध्यान होगा।


स्वर्ग समान काश्मीर के टुकड़े एक होंगे

भारतमाता के भाल पर भी सूर्यभिषेक होगा


मोदी रुकेगा नहीं

विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था पाई

अब तीसरी का अनुसंधान होगा।


सोने की चिड़िया कभी कहलाता

भारत मोदी राज में हीरे की खान बनेगा


हम रहें न रहें, कर विश्वास मोदी पर

चमत्कार होगा, चमत्कार होगा।


2047 में भारत विशाल, विश्वगुरु 

शिक्षा, उद्योग, आध्यात्म का केंद्र बनेगा।

डा श्रीकृष्ण मित्तल 


Thursday, February 15, 2024

नगाड़ा बजाओ देश उठाओ


 बजा नगाड़ा  रे पगले, 

हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र

 जिसका छाया खतरा है।। 


देश का इतिहास राजद्रोहियो से भरा

विभीषण जयचन्द जैसी मिसालों से सना।।


आओ जांचें कुछ पूर्व की घटनाओं को

देश की शर्मनाक गुलामी की सच्चाई को।।


मोहम्मद गजनवी को 17बार भगाया था।

18वींबार ऐक अपने ने सोमनाथ दिखाया था।।


पृथ्वीराज के आड़े जयचन्द ही आया था।

जिसके कारण गुलामी का बादल छाया था।।


मुगलों का इतिहास इन कायोरों से हरा भरा।

नहीं तो किस में शक्ति थी जी देता हमे हरा।।


वीर शिवाजी की शमशीरें,जयसिंह ने ही रोकी थीं ।

पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,जयचंदों नें भोंकी थी ।।


हल्दीघाटी में बहा लहू,शर्मिंदा करता पानी को ।

राणा प्रताप सिर काट काट,करता था भेंट भवानी को।।


राणा रण में उन्मत्त हुआ,अकबर की ओर चला चढ़ के

तब मान सिंह आया बढ़ के के प्राण बचाने को ।।


इक राजपूत के कारण ही  तब वंश मुगलिया जिंदा था

इक हिन्दू की गद्दारी से  चित्तौड़ हुआ शर्मिंदा था ।।


जब रणभेरी थी दक्खिन में  और मृत्यु फिरे मतवाली सी

और वीर शिवा की तलवारें  भरती थीं खप्पर काली सी।।


किस म्लेच्छ में रहा जोर  जो छत्रपती को झुका पाया

ये जयसिंह का ही रहा द्रोह  जो वीर शिवा को पकड़ लाया।।


गैरों को हम क्योंकर कोसें,  अपने ही विष बोते हैं।

कुत्तों की गद्दारी से,  मृगराज पराजित होते हैं


बापू जी के मौन से हमने भगत सिंह को खोया है।।


आज पुन: देश काले बादलों से भरा है।

गजवा ए हिन्द का सामने खड़ा खतरा है।।


370, सी ऐ ऐ का बे दिमागी विरोध हो रहा

जिसका कोई अर्थ नहीं उसमें देश जल रहा।।


इनका विरोध हिन्दू विरोधी सत्ता लोलूप कर रहे।।

देश के पुन: विभाजन के सपने यह संजो रहे।।


हमे क्या पड़ी? अकेला मोदी लड़ रहा

अगर यह ढीला पड़ा तो देश तो गिर पड़ा।।


आज जरूरत उस नगाड़े की जो देश को उठा सके।

देश की अस्मिता, समृद्धि, को गजवा ए हिन्द से बचा सके।।

 

बजा नगाड़ा  रे पगले, हिन्दूस्तानी सोया है ।

बता उसे विदेशी षड्यंत्र जिसका खतरा है।।

Monday, February 12, 2024

लक्ष्य प्राप्ति

 लक्ष्य प्राप्ति


ना मै गिरा और 

ना मेरी उम्मीदो के मीनार गिरे 

पर कुछ लोग 

मुझे गिराने मे कई बार गिरे


कुछ ललचाने में

कुछ डराने में


कुछ भटकाने में

कुछ ऊपर पहुंचाने में

लोग रहे छिटकाने में

पर

मेरी नजर रही निशाने पे

मैं रुका नहीं

मैं झिझका नही

मेरा ध्यान भटका नही


वोह गौण हो गए

नजरों से ओझल रहे


मैं लक्ष्य पर पहुंच गया

कारवां गुजर गया

वोह गुबार देखते रहे।

Monday, February 5, 2024

जीवन का सार


जीवन का सार

मेरे तो जीवन का यही सार है। 

टकराया तुफानो से               

पहाड़ किये पार हैं।।                               


डरा नही शैतानो से,               

हारा नही मुसीबतों से,   

सीख ली नाकामयाबियों से,        

तकदीर लिखी अपने कर्मो से,

खुद, खुदा और खुदाई पर भरोसा,               

मित्रों से सर्वदा पाया प्यार है।।


कभी लगा शिखर आ गया

कभी निराशा के समुंदर में डूब गया

कभी अर्श पर

कभी फर्श पर

कभी जिंदगी की खुशी मनाते हुए

कभी पाया मौत के मुख में समाते हुए

कभी सफलता के जोश में

कभी असफल टूटा, गिरा 


लेकिन आत्म शक्ति और प्रभु पर भरोसा

हर दुख, गम को उड़ाता चला

जिंदगी को जीता, 

गमों में भी मुस्कुराता चला गया।

आज मुकाम यानी के एक सुखद पड़ाव


नही रुकूंगा 

नही डरूंगा

नही घबराऊंगा

नही इतराऊंगा

हर सफलता प्रभु अर्पण

हर हार को 

एक सबक की तरह अपनाऊंगा

मेरे तो जीवन का यही सार है। 

Saturday, January 27, 2024

बिहार का परिवर्तन 2024

 दे दी पटकनी लालू तेजस्वी, राहुल को 

तुने बिना खडग बिना ढाल। 

 पटना के रन बांकुरे तुमने कर दिया कमाल।। 

 कल तक नितीश- मोदी झेलते थे हमले बार बार। 

 राज में ना बिजली, ना रक्षा, जनता में हाहाकार ।। 


जयप्रकाश के पठे बिहार में जन्मे दो सितारे। 

 नितीश इस धरती के तारे।। 


 सामने थी बेकारी, अन्धकार, और सूखा बाढ़ गरीबी लाचारी । 

 साथ थी हिम्मत, हौसला, संगठन शक्ति और दयानतदारी ।। 


  पहीले अंधकार विरासत में मिला था । 

 सामने समश्याओं का लम्बा सिलसिला था।। 

 लड़ते लड़ते निकल गये सरदारों के सरदार । 

 हिम्मत ना हार के आगयी परिक्षा जनता के दरबार ।।


 परीक्षक केद्र सरकार के 2010 

फिर 2015 का सुशासन राज । 

 2024 में पुन: जनता के दरबार में आवाज़।। 


 कहीं राहुल कहीं लल्लू ।। 

 कुरुक्षेत्र सज चूका।

बिहार चुनाव धधक चूका।। 


 फिर इंडी महागठबंधन बन गया।


 ऐनडीए के सामने इंडी रावण सेना सा डट गया।। 

 ओबेस्सी जैसे देश तोड़क भी आ गए।

 कितने ही बिहार के स्वंभू मालिक बन गए।। 


 हमले होंगे, तीर चलेगै आरोप लगेगै। 

 अपने पराये हुए, दिल में खंजर से लगेगै।।

 जनता पर विश्वास ,कर्म पर भरोसा। 

 साथ कमल सा कोमल और तीर कठोर सा।। 

 साथ में विजय, सम्राट और मांझी के हम होंगे।। 

 पासवान ऊपर चले गए चिराग साथ आयेंगे।। 


 भिड़ गये बोल हर हर महादेव अल्लाह हो अकबर ।। 


 सामने तेजस्वी, लालू राउल, सोनिया। 

 ना जाने कितने एक से एक बढ़ कर। 


 काम जीतेगा, विश्वाश बढ़ जायेगा । 

 मोदी जी का जादू चल गया।

 डबल इंजन, डबल युवराज पर चढ़ गया। 


 सुशासन बाबू का तीर निशाने पर लग गया।।

 भाजपा का कमल, तीर कमान के संग 

पूरे बिहार में खिल गया।। 


 आओ करें सम्मान इस जीत का। 

 जो करेगी विकास 

बिहार का, बिहारी का।। 


 रन बाकुरो जीत को संभालना साथ निभाना।

 कमल खिला रहे, तीर पैना रहे । 

 जनता की आस को निभाना।। 


 प्रस्तुतकर्ता डा श्रीकृष्ण मित्तल


Sunday, January 14, 2024

सड़कें, खेतों से लम्बी हो गई ।

ड़कें,

खेतों से लम्बी हो गई ।

जिन्हें लौटना था साँझ ढले
वो बहुत दूर निकल चुके।।

दिन में घर से आती रोटी छाछ
सपना बन चुके।।

कितने ही जिन बैलों को
लोटना था, वो कट चुके।।

ट्रेक्टर अब आम हो गए
सड़कों पर दिख रहे।

किसान मजदूर बन गए,
खेत फार्म बन चुके।।

सड़क
अब दिलों में भी बन गई
संबंध करवट बदल रहे।।

परिवार टूट रहे
नित्य प्रति तलाक हो रहे
रोज पाँच मील
पगडंडी पर चलने वाले
आज ट्रेक्टर मे डीजल की
इंतजार मे

क्योंकि सड़क बन गई

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Sunday, January 7, 2024

यारों दीपावली मनाओ

 रंगोली सजाओ यारों,मेरा यार आया है

बड़ा मनचला, रंगीला दिलदार आया है


यादों में उसके, सपने संजोए

न जाने क्यों मन घबराया है

दिल तो प्रियतम से मिलने को आतुर

मचलती नदी सा लहरता पाया है।


न जाने कितने अरमान

संजोए थे, इन आंखों में

कितनी ख्वाइश कितने सपने

छिपे हैं उसके लबों में

उसकी चितवन में झांकने 

का आज मौका पाया है।


फूल लगते थे शोला उसकी यादों में

दीपावली मनाओ, यारों, मेरा राम आया है

डा श्रीकृष्ण मित्तल