औंस की एक बंद सी होती हैं बेटियां।
स्पर्श से दर्द जान लेती रोती हैं बेटियां।।
रोशन करता बेटा एक ही कुल को।
दो दो कुलों की लाज रखती हैं बेटियां।।
बेटा बेटी कोई नहीं एक दूसरे से कम
बेटा अगर हीरा तो मोती होती हैं बेटियां।।
कांटों की राह पर जिसकी अंधेरी डगर
औरों के लिए फूल बोती हैं बेटियां।।
विधि का विधान, समाज की परंपरा
प्रियों को छोड़, पिया घर जाती हैं बेटियां।।
सुना नहीं किसी का बेटा जलाते हुए
सुना यदा कदा जलाई जाती बेटियां।।
देख जिसे मां बाप का दिल हर्षाए
ऐसा मन लेने वाली होती है बेटियां।।
हर सास ननद जेठानी दौरानी
भूल जाती है कि वोह भी थी,बेटियां।।
पराई को भी अपनी बेटी बनाएं, लाड लड़ाएं
यकिनन सुखी संसार बनाएंगी यह बेटियां।।
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