भगवान का शुक्रिया जो आप बच के आए हैं
हमारे पुण्य उदय हुए, जो आपके भी काम आए हैं।
देश को अभी है दरकार आपकी
हमे नही थी स्वीकार, विदाई आपकी।।
लड़ पड़े हम ईश्वर यमराज से
सावित्री की याद मन में धार के
ईश्वर को बताया, यमराज को हराया
कायनात को हिलाया, तब ऊपरवाले को होश आया
उसने अपनी गलती मानी
हमारी अरदास पर तरसे स्वामी
कुछ ही पलों में स्वर्ग हिल गया
तुम्हारी वापसी का आदेश दिया।
आज आप विद्यमान हैं
आप हमारे माननीय मेहरबान हैं।
आओ इस नव जीवन को सफल बनाएं
दीन दुखी की सेवा का कीर्तिमान बनाएं
अफसोस न हो, वापस भेजने का
ऊपरवाले को, ऐसा कुछ कर गुजरें
कुछ कर जाएं।।।
डा श्रीकृष्ण मित्तल
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