Saturday, October 25, 2008

गुरु को संदेश


गुरुदेव का आशीर्वाद बडी मुद्दत बाद मिला
जैसे डूबते जहाज को सिंदबाद मिला

हम तरसते थे गुरु ज्ञान पाने को
अपने क ख ग सुनाने और मार खाने को

एक समय ऐसा आया
गुरु ने हमे दिल से दूर हटाया

हमे मालूम ना हुयी त्रुटी हमारी
क्यों गुरुदेव ने हमारी यादें बिसारी

महीने कई बीत गये
गुरु हमे भूल गये

आज दिवाली आई है
शायद गुरुमन में प्रीती पुनः आई है

धन्य हुआ जीवन हमारा आप का संदेश आने से
मन गयी दिवाली, छूटे पठाखे, पेट भर गया खाने से

अब अगर भुलाया तो हम भी आपके चेले हैं
फिर नही कहना, बेसुरे, नाकारा, अलबेले हैं

तुम हमे छोड़ दोगे हम 'यह' दुनिया छोड़ देंगे
गुरु ही नहीं तो हम मान किसे देंगे

दीपावली पर आपने नया विषय उठाया है
बिल्कुल ठीक फरमाया है

No comments: