Monday, October 20, 2008

इश्क की नियामत

हम अभी जवान है और मरने से डरते हैं
हम अभी जीना चाहते हैं क्यों की तुम पर मरते हैं

तुमसे मिलने को बहाने किसे चाहिए
हम तो तुम्हारी तस्वीर दिल में छुपा के रखते हैं

तुम कबूल करो या ना करो दुनिया को खबर है की
तुम और हम एक दूजे पर जाँ छिडकते हैं

आसमा है रकीब इश्क का
इसही लिए तो तुम हम कमरे में बंद रहते हैं

तुम हंसो हम देखें, हम हसें तुम देखो
येही इसरार खुदा से हम करते हैं

जख्म कोन जालिम भरना चाहता है
हम तो तुम्हारे दिए घाव इश्क की नियामत समझते हैं

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