लल्लू ने स्कूल में लंदन रोम के बारे में पढ़ा था
ऊँचे मकान फैले मैदान देख उसका मन चला था ॥
सपने में आती थी उड़ते हवाई जहाज की आवाज और तस्वीरें
खुल जाती थी नींद जैसे उसने थे सात समुंदर उनमे पार करे ॥
जब भी किसी नजूमी,पंडित से मुलाकात होती
सिर्फ़ एक ही विषय पर बात होती ॥
मुह पर बताते उसके भाग्य में विदेश यात्रा
पीछे से कहते थे कोई पागल भी करता है विदेश यात्रा ?
सोचते सोचते दिन बीत गये साल निपट गये
लालू जी कक्षा 1२ से कोलेज में धमक गये ॥
दोस्त दिखाते थे ठाट से विदेशी माल को
लल्लू जी तड़पते थे रातों के देखे ख्याल को ॥
एक दिन कोलेज में घोषणा हुयी
अमरीका से चुनाव समिति आने की तिथि तय हुई ॥
लल्लू जी ने भाग लेने की तयारी करी
दोस्तों ने तानो के बारिश करी ॥
दिन निकलते गए
लल्लू जी तड़पते गये ॥
इंतज़ार की घड़ी खत्म हुई
विदेशिओं की टीम आ के जम गयी ॥
लल्लू जी बुलाये गए
अररे, लल्लू जी तो बेहोश हुए ॥
आते ही 'गोड़ सेव दी किंग' चालू किया
फ़िर जन गन मन भी सुना दिया ॥
विदेशिओं ने रास्ट्र गीतों को मान दिया
सभी ने साथ दिया और उठ के सेल्ल्युट किया ॥
लल्लू जी के देश प्रेम से अमरीकी अभिभूत होगये
सवाल कुछ पूछने थे कुछ और ही पूंछे गये
देखते ही देखते लल्लू जी का चयन हो गया
सात समन्दर पार का प्यारों सपना सच हुआ ॥
नये कपडे सिलवाये गये
पासपोर्ट वीसा टिकट बनवाये गये ॥
वोह दिन भी आ गया
एअरपोर्ट पहुंच जहाज पकडा गया ॥
इंतज़ार की घडियां खत्म हुयी
उलटी गिनती चालू हुयी ॥
जहाज गुर्राना चालू हुआ
व्योमसुन्दरी ने सुचना, नास्ता, दारू चालू किया ॥
देखते ही देखते देश दूर होगये समंदर आ गया
लल्लू यानि वो इंजिनीअर ललित प्रशाद सात समंदर पार गया ॥
Sunday, October 5, 2008
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