नाव चलाने वाले मल्लाह को गम था तो बस एक ही गम था ।
साहिल पे आके किस्ती जहाँ डूबी वहां पानी बहुत कम था ॥
देश की नाव और मल्लाह का भी येही हाल है
नाव में बैठे यात्री परेशान बेहाल है ॥
साहिल सामने नजर आरहा लेकिन मल्लाह गाफिल सो रहा ।
नाव आधी डूब चुकी किस्ती में सुराख़ हो चूका ॥
शेर गीदड़ बन गये शेयर बाज़ार ढह गया ।
सोना सुर्ख हो गया रूपया सौ का आधा रह गया॥
टकटकी लगी है सबकी इंतज़ार है साहिल से राहत के आने की ।
नाव को और पथिक को जीवनदान देने और कायनात बचाने की
उठो हिम्मत करो, मत देर करो, सब छुट जायेगा
जब देश ही नही रहा तो देशवासी कहाँ जायेगा
काशमिरिओं को संभाला हम वतनो ने
हम अगर डूबे,भागे,तो ठौर नहीं प्रभुचरणों में
साहिल पे आके किस्ती जहाँ डूबी वहां पानी बहुत कम था ॥
देश की नाव और मल्लाह का भी येही हाल है
नाव में बैठे यात्री परेशान बेहाल है ॥
साहिल सामने नजर आरहा लेकिन मल्लाह गाफिल सो रहा ।
नाव आधी डूब चुकी किस्ती में सुराख़ हो चूका ॥
शेर गीदड़ बन गये शेयर बाज़ार ढह गया ।
सोना सुर्ख हो गया रूपया सौ का आधा रह गया॥
टकटकी लगी है सबकी इंतज़ार है साहिल से राहत के आने की ।
नाव को और पथिक को जीवनदान देने और कायनात बचाने की
उठो हिम्मत करो, मत देर करो, सब छुट जायेगा
जब देश ही नही रहा तो देशवासी कहाँ जायेगा
काशमिरिओं को संभाला हम वतनो ने
हम अगर डूबे,भागे,तो ठौर नहीं प्रभुचरणों में
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