Monday, October 20, 2008

जवाब के जवाब का जवाब

तुम्हारे हुस्न की तपस में
तुम्हारे इश्क की गर्मी में
तुम्हारे आंचल की ठंडक में
तुम्हारे हाथों के खनकते शोर में
तुम्हारी पायल की झंकार में
तुम्हारे हाथों से प्याले में

कोन जालिम बहरा, अँधा, गूंगा, पागल ना हो जाये

हम भी शायद उन्ही में से एक हैं
हुजुर इसलिए खो गये

शनि को कोन जाने
यहाँ तो पूरा हफ्ता ही सो गये

तुम्हारा कया हाल है ?
कम तो नही होगा

इतवार आये या ना आये
दिल में हमारा संदेश ही होगा
=======Reply to reply===========
क्या ये सच है ??!!
"आपकी खुशनुमा आहट दिन या रात
लाती हर किसी के चेहरे पर
दूध सी
गुलाब सी
लोबान सी
धुप सी
चाँद की चमक सी मुस्कुराहट !!"

शायाद ये सच ही है .....
नहीं तो.....
आपने ये कैसे नोट नहीं किया के आज sunday नहीं saturday है!!
मैंने ग्रीटिंग तो sunday का भेजा था!!
शायद ....
"दूध सी
गुलाब सी
लोबान सी
धुप सी
चाँद की चमक सी मुस्कुराहट में खो गए थे!!
हा हा हा हा ....
------Reply-------------
गुड मोर्निंग नमस्कार

सीता को देनी पडी अग्निपरिक्षा क्यूं
इम्तेहां गैर इत्फाकी का दूसरा नाम यूं


अंधियारों में भी खिलते है फूल
धूल में ही लगते है मुलायम फूल
आपकी खुशनुमा आहट दिन या रात
लाती हर किसी के चेहरे पर
दूध सी
गुलाब सी
लोबान सी
धुप सी
चाँद की चमक सी मुस्कुराहट
----------Message------------------
गुड मोर्नींग गुरु देव ....

इम्तेहाँ मुशीबत और भला ..
अधियारो में कोई है खिला ..
बेचैन बहारो की आहट..
चहरे में चित चितवन सजती
लोबान सी ख़ुश्बू मुस्कराहट

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