कलम की ताकत का तलवार की ताकत से क्या मुकाबला
तलवार की जीत कलम के एक वार से हार दी जाती है ||
घाव तलवार का भले ही भर जाए,
लेकिन कलम की स्याही जो सदियों तक असर लाती है ||
अगर नही होती कलम तो ना कुरआन होती, ना गीता
राम को भगवान यह कलम ही बनाती है ||
आज़ादी की मशाल जलती रखी कलमदारो ने,
तलवारछिपी हुयी थी म्यानो में,
क्रान्ति के वीर धधक रहे थे,
कलमवीर समाज को जगा रहे थे,
लेखको ने हिला दी थी अंग्रेज सल्तनत,
तुलसी कबीर ने झुका दी थी,
अकबर औरंगजेब की ताकत,
याद करो एमर्जंसी का ज़माना,
जिसे गोयनका झु क के माना||
ना कलम होती तो ना दिलो में राम होते |
ना अल्लाह, ना गुरु नानक, ना श्याम होते ||
ना हीर-रांझे की कहानी लिखी जाती |
लैला मजनू की कहानी रेगिस्तान में सिमट जाती||
कलम ना होती तो अपराध कैसे रुकते |
जज बिना कलम के फरमान ना देते ||
मकतब बेमानी होते मदरसे रुस्वां होते |
कलम ना होती तो ना नेताजी होते ना बाबा साहिब होते ||
ना मै मै होता ना तुम तुम होते
सलाम मेरी कलम को जिसने मुझे मै बना दिया|
सदका कलम का जिसने मुझे तुम से रूबरू करा दिया||