ना भटका हूँ ना लोट कर जाऊंगा
प्यास तेरी नियति, शांत कर पाऊंगा।
आसमा की बदली सा
सावन की रिमझिम सा
धरती के गर्भ में नए फूल खिलाऊंगा।
मरुधरा में नखालिस्तान
हरा भरा चमन खिलाऊंगा
तेरा मेरा अस्तित्व होगा एक
तेरी प्यास, मेरी आस, जमाने की अरदास
पूरी कर जाऊंगा।
मैं तेरा साजन,
ना भटका हूँ ना लौट कर जाऊंगा।।
प्यास तेरी नियति, शांत कर पाऊंगा।
आसमा की बदली सा
सावन की रिमझिम सा
धरती के गर्भ में नए फूल खिलाऊंगा।
मरुधरा में नखालिस्तान
हरा भरा चमन खिलाऊंगा
तेरा मेरा अस्तित्व होगा एक
तेरी प्यास, मेरी आस, जमाने की अरदास
पूरी कर जाऊंगा।
मैं तेरा साजन,
ना भटका हूँ ना लौट कर जाऊंगा।।
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