लहरें टकरा तोड़ गई पहाड़ों को
शीतल धारा जीवनदायनी हजारों को
तुम भी तो आकाश गंगा हो
शिवजटा में विचरती जीवन हो
आगे बढ़ो जीवन दायनी, मन भावना
मत रुको, पूरी करो, जन जन आकांशा
एक मशाल पूरे जमाने को रोशन करती है
खुद जलती हाथों में मचलती फना होती है।
बनो जीवन धारा या मशाल सी
जीवन की मिसाल नाकि कठोर पाषाण सी
तरासी जाओगी मोनालिसा वीनस राधा सी
पूजी जाओगी अपने नगमों तरानों से कोकिला सी।
ना भटका हूँ ना लोट कर जाऊंगा
प्यास तेरी नियति, शांत कर पाऊंगा।
आसमा की बदली सा
सावन की रिमझिम सा
धरती के गर्भ में नए फूल खिलाऊंगा।
मरुधरा में नखालिस्तान
हरा भरा चमन खिलाऊंगा
तेरा मेरा अस्तित्व होगा एक
तेरी प्यास, मेरी आस, जमाने की अरदास
पूरी कर जाऊंगा।
मैं तेरा साजन,
ना भटका हूँ ना लौट कर जाऊंगा।।
शीतल धारा जीवनदायनी हजारों को
तुम भी तो आकाश गंगा हो
शिवजटा में विचरती जीवन हो
आगे बढ़ो जीवन दायनी, मन भावना
मत रुको, पूरी करो, जन जन आकांशा
एक मशाल पूरे जमाने को रोशन करती है
खुद जलती हाथों में मचलती फना होती है।
बनो जीवन धारा या मशाल सी
जीवन की मिसाल नाकि कठोर पाषाण सी
तरासी जाओगी मोनालिसा वीनस राधा सी
पूजी जाओगी अपने नगमों तरानों से कोकिला सी।
ना भटका हूँ ना लोट कर जाऊंगा
प्यास तेरी नियति, शांत कर पाऊंगा।
आसमा की बदली सा
सावन की रिमझिम सा
धरती के गर्भ में नए फूल खिलाऊंगा।
मरुधरा में नखालिस्तान
हरा भरा चमन खिलाऊंगा
तेरा मेरा अस्तित्व होगा एक
तेरी प्यास, मेरी आस, जमाने की अरदास
पूरी कर जाऊंगा।
मैं तेरा साजन,
ना भटका हूँ ना लौट कर जाऊंगा।।
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