कातिल को कातिल कह क्यों मजाक करते हो
उनकी अदा पे मरते हो फिर क्यों शिकवा करते हो
वोह जहर भी पिला दें अपनी आंखों से कोई बात नहीं
उनके खुसबू और साए में जिन्दगी गुजर जाये तो खता नहीं
आग का दरिया उनका इश्क हमे तो पार तक जाना है
मल्लिका ए हुस्न तुम साथ तो जन्नत किसे जाना है ?
Tuesday, August 5, 2008
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