देश ओलम्पिक में शामिल तो होता था
११० करोड़ का देश शर्मिंदा वापिस होता था
अरबों खर्च का था सालो साल कोई हिसाब नही
एक भी एकल स्वर्ण था हमारे भाग में नही
हम विश्व नेता होने का दावा करते थे
लेकिन स्वर्ण पाने को तरसते थे
खेल भावना की मिसाल देते थे
अपने कर्म ठोक रो लेते थे
कभी ध्यान कभी मिल्खा कभी अमृत याद करते थे
कर्नेश्वरी और चौहान को आँखों पर रखते थे
पुरुश्कारो को अर्जुन राजीव पुकारते थे
देश के खिलाडियों को भर भर धिक्कारते थे
असली अर्जुन तो अभ्यास कर रहा था
अपने करतब को पैनी धार धार रहा था
सुबह पूरब से नया उजाला आया
देश में खुशीओं से भरा पैगाम लाया
अभिनव तुम देश की शान
भेद दिया ओलम्पिक का निसान
२५ साल के पंजाब के नवजवान
आधुनिक अर्जुन को देश का सलाम
आओ वापिस देश पलक बिछा इन्तजार में
है बिंद्रा के विजय अभियान उत्सव की त्यारी जोरों पे है
तुम्हारी विजय देश का भाग लिखा जाने वाला है
स्वर्ण नही, नवयुवको की प्रेरणा और संकल्प होने वाला है
बिंद्रा परिवार को हार्दिक बधाई
Monday, August 11, 2008
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1 comment:
चक दे फट्टे, मार लिया मैदान, जीत ली जंग, दे दिया जवाब, बन गये बादशाह, ख़ुशी से झूम रहा है पूरा देश ........... शाबाश अभिनव !
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