Tuesday, August 5, 2008

चौराहा

चौराहे पर खडा मैं सोच रहा
किधर जाऊं मन टटोल रहा

चार राहें जहाँ आके मिलती हैं
उस चौराहे के थानेदार से मैं बोल रहा

बहुत सुंदर सजाया है चौराहे को
उसपे बैठाया चहचहाते चिडे चिडयों को

मुबारक हो थानेदार तुम्हे यह खुशहाल चौराहा
हमारा तो येही रास्ता है
रोज निकलेंगे इस चौराहे से
दिलबर का आशियाँ यहाँ से दिखता है

इतना रहम करना दिलबर के रूबरू होने पर
रोक देना उन्हें अपना रुआब दिखा कलाम सुना कर

No comments: