चौराहे पर खडा मैं सोच रहा
किधर जाऊं मन टटोल रहा
चार राहें जहाँ आके मिलती हैं
उस चौराहे के थानेदार से मैं बोल रहा
बहुत सुंदर सजाया है चौराहे को
उसपे बैठाया चहचहाते चिडे चिडयों को
मुबारक हो थानेदार तुम्हे यह खुशहाल चौराहा
हमारा तो येही रास्ता है
रोज निकलेंगे इस चौराहे से
दिलबर का आशियाँ यहाँ से दिखता है
इतना रहम करना दिलबर के रूबरू होने पर
रोक देना उन्हें अपना रुआब दिखा कलाम सुना कर
Tuesday, August 5, 2008
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