Friday, August 29, 2008

मेरा धर्म ....गोरक्षा......... मेरी गोमांता

तुने जन्म दिया नहीं मुझको ।
पर मानू तुझे मैं मा ॥

तेरा दूध रगों में दोडे ।
मैं जानू ये भी मा ॥

भारत के तू हर कण में ।
भारत के तू हर जन में ।
तू बसती है मेरी मा ॥


सुख सारे तुससे पाए ।
तू दुःख में भी सुखालाये ।
मैं हर्षित हूँ मेरी मा ॥


जीवन से और मरण तक ।
शिख से और चरण तक ।
तू सबके काम आये ॥

बैल शक्ति गोबर गोमूत्र से ।
दूध दही घी उपयोग से ।
नई उद्योग क्रांति आये ॥

हर गाँव हर कोने में ।
देश का दुर्भाग्य ।
जो तुझे काट और खाए ॥

हर गाँव में हो तेरा बसेरा ।
फैलाए जो सवेरा ।
अंधियारा भाग जाए ॥

अब हमने भी ठानी ।
गोमाता है बचानी ।
जो मरने पर तारे ।
जन्नत धरा पे लाये ॥

कृष्ण प्यारी........... निहाल

कान्हा खेलत ब्रिज मैं ग्वालन संग
घुसत गोपियन के घर ढुडन माखन ॥

गोपी तरसत छुप झाँकत, कब आवेंगे नन्दलाल
देख कान्हा, दर्शन पात, होजावे निहाल ॥

लेत बलिआं, पीछे भागत, पकड़वे को नटवरलाल
अंखियन नीर बहावत, कमलपद पखारत, जपे गोपाल ॥

ये नटखट,लीला करत,गोपियन को खिजावत,करे धमाल
छाछ के लोटे पे,त्रिभंगी को नचावे,देखो गोपियन को कमाल ॥

मनभाव दुसरो,काम दूसरो,पकडे श्याम को, डाले लाल
सून स्यानी, जो इसे ध्यावे,वोह तो,निहाल और खुशहाल ॥

Saturday, August 16, 2008

रक्षा बंधन

अपनी मुफलिसी के डर से, मैं घर ही नहीं गया अपने ।
बहन ने फेंक दी होगी राखी, मेरा इंतज़ार करते करते

मुफलिसी नहीं यह तो बहाना था
तो भाभी के साथ सुसराल जाना था

बहिन मिलती तो खर्च हुआ होता
सुसराल में तो स्वागत हुआ होगा

बहिन तो इंतज़ार में सूख आधी हो चुकी
तुझे किसने समझया की वोह राखी फैंक चुकी

में एक बार भाई बहिन का त्यौहार आता है
मुफलिसी का बहानाकर बहिन को इंतजार कराता है

फेकी नहीं किसी गधे को बाँध दी होगी राखी
अपसगुन कैसे करेगी फैंक के बहिन,
.................भाई का वरदान यह राखी

आज की ताजा खबर

कश्मिरिओं को १५०० करोड़ का नुक्सान हो गया
अरे हिसाब लगाने वालोंसिर्फ ३,००,००० कश्मीरी पंडितों का ५,00,000/- साल से हिसाब लगालो तो :-

अबतक 15000 करोड़ के हिसाब के ३,0०,००० करोड़ का नुक्सान हो चूका है।
उनकी जमीन सम्पति तो १० लाख करोड़ से ज्यादा की पाएगी ॥


अगर हिसाब की बात करते हो तो लगाओ हिसाब की ....................
कितने लाख करोड़ इधर से उधर जा चुके हैं ।
एक कारगिल में कितने जवान जान गवां चुके है ॥


क्या मुजफ्फराबाद में सेव नही उगते जो इनका वहाँ इस्तकबाल होगा ।
अरे नही इन्हें जाने दो इनका हमे मालूम है वहां क्या हाल होगा ॥

हमे uno की धमकी देते हैं जैसे अमन के ठेकेदार हों ।
दुनिया जानती है पहिचान्ती है इन आतन्किओं को ॥


बदनाम कर दिया हिंद के मुसलमान को ।
अल्लाह के नाम को इंसान के अरमान को ॥

भेड़िया आया भेड़िया आया का शौर सुन दौड़ा करते थे ।
एक दिन आया तो झूट मान अनसुना करते थे ॥

एक दिन यहाँ भी ऐसा ही होने वाला है ।
पूरा काश्मीर एक हो भारत में मिलने वाला है ॥

कश्मीर की धरती का बवाल

आज की ताजा खबर कश्मिरिओं को १५०० करोड़ का नुक्सान हो गया हिसाब लगाने वालों सिर्फ ३,००,००० कश्मीरी पंडितों का ५०,०००/- साल से हिसाब लगालो तो अबतक १५०० करोड़ के हिसाब के ३०,००० करोड़ का नुक्सान हो चूका हैउनकी जमीन सम्पति तो १० लाख करोड़ से ज्यादा की पाएगी ॥
हिसाब की बात करते हो तो लगाओ हिसाब की

कितने लाख करोड़ इधर से उधर जा चुके हैं ।

एक कारगिल में कितने जवान जान गवां चुके है ॥
क्या मुजफ्फराबाद में सेव नही उगते जो इनका वहाँ इस्तकबाल होगा ।

अरे नही इन्हें जाने दो इनका हमे मालूम है वहां क्या हाल होगा ॥
हमे uno की धमकी देते हैं जैसे अमन के ठेकेदार हों ।

दुनिया जानती है पहिचान्ती है इन आतन्किओं को ॥

बदनाम कर दिया हिंद के मुसलमान को ।
अल्लाह के नाम को इंसान के अरमान को ॥

रक्षा बंधन

शुभ प्रभात की बेला में
 रक्षा बंधन लिए हाथ में 
बहिन खड़ी दरवाजे पे 
उठ दौड़ ले बलैआं 
भाग जगे तेरे उसके आने से 
वोह बांधेगी रक्षा 
तेरा रक्षा का वचन पाने को 
देगी तुझे आशीर्वाद 
दुनिया की हर नेमत पाने को

नटवरलीला

प्रिय सखी

जपत देखत नटवरलीला अपनों जन्म सफल बनाएँगे
राधे श्याम सुमिरत ब्रिन्दावन धाम जायेंगे.

राधावल्लभ कुञ्ज गलियन में ढूंड नयनन शीतल करवाएँगे
आया जन्मोत्सव राधाजू को श्याम रिझाने को सृंगार करेगे

सखी सखा सब मिल श्याम राधाजू की लीला में रास करेंगे
वेश बना पकवान पका युगलवर की ब्लैआं ले सेवा करेंगे

नन्द यशोदा के लाडले को माखन दिखा नाचवे को त्यार करेंगे
सुनरी सखी श्याम मनोहर राधाजू संग रास ठिठोली कर विलास करेंगे

ऐसी छटा इस जग में खिलेगी हम सब द्रग नीर भर भाग सराहेंगे
मुझे ना चाहे बंसीबट या महल चौबारा मैं तो वहां ही बसूं जहाँ मेरे राधे श्याम बसेंगे

Monday, August 11, 2008

अभिनव बिंद्रा का अभिनन्दन

देश ओलम्पिक में शामिल तो होता था
११० करोड़ का देश शर्मिंदा वापिस होता था

अरबों खर्च का था सालो साल कोई हिसाब नही
एक भी एकल स्वर्ण था हमारे भाग में नही

हम विश्व नेता होने का दावा करते थे
लेकिन स्वर्ण पाने को तरसते थे

खेल भावना की मिसाल देते थे
अपने कर्म ठोक रो लेते थे

कभी ध्यान कभी मिल्खा कभी अमृत याद करते थे
कर्नेश्वरी और चौहान को आँखों पर रखते थे

पुरुश्कारो को अर्जुन राजीव पुकारते थे
देश के खिलाडियों को भर भर धिक्कारते थे

असली अर्जुन तो अभ्यास कर रहा था
अपने करतब को पैनी धार धार रहा था

सुबह पूरब से नया उजाला आया
देश में खुशीओं से भरा पैगाम लाया

अभिनव तुम देश की शान
भेद दिया ओलम्पिक का निसान

२५ साल के पंजाब के नवजवान
आधुनिक अर्जुन को देश का सलाम

आओ वापिस देश पलक बिछा इन्तजार में
है बिंद्रा के विजय अभियान उत्सव की त्यारी जोरों पे है

तुम्हारी विजय देश का भाग लिखा जाने वाला है
स्वर्ण नही, नवयुवको की प्रेरणा और संकल्प होने वाला है

बिंद्रा परिवार को हार्दिक बधाई

Tuesday, August 5, 2008

बिखरते जज्बात

आज की इस अंधी दौड़ में देखे हैं हमने
नफरत की ठोकर से जज्बात बिखरते

उपरवाला भी अगर आये तो यारों
सौदागर उसे भी बेच खाके निकलते

आज की सौगात झूट नफरत आतंक
इसे फैलाने वाले तानाशाह और मालिक बनते

बहुत से गम हैं इस ज़माने में
इश्क से हालात नहीं पलटते

आओ हम मिल बनाये नयी दुनिया
जिसमे इश्क, मोहब्बत की शहनाई गूंज

मिसाल ए दोस्ती

इन्सान को इन्सान बनाती है दोस्ती
हैवानियत से भी कभी बचाती है दोस्ती

दोस्त की हर मुसीबत की निगेबाहं है दोस्ती
हाथ में आ जाती है गिरेबान करे अगर कोई बुराई दोस्तकी

हर तक़दीर को बदल दे ऐसी मेहरबान होती है दोस्ती
युधिस्टर ने निभाई थी स्वान से दोस्ती

आज भी मिसाल है कृष्ण सुदामा की दोस्ती
आ हम भी आज बन जाये मिसाल ए दोस्ती

कातिल मल्लिका

कातिल को कातिल कह क्यों मजाक करते हो
उनकी अदा पे मरते हो फिर क्यों शिकवा करते हो

वोह जहर भी पिला दें अपनी आंखों से कोई बात नहीं
उनके खुसबू और साए में जिन्दगी गुजर जाये तो खता नहीं

आग का दरिया उनका इश्क हमे तो पार तक जाना है
मल्लिका ए हुस्न तुम साथ तो जन्नत किसे जाना है ?

खुशियाँ और गम

ख्वाब और ख्यालों की मलिका हम तुम्हारे गुलाम
हर ल्ह्मा हर पल हम तुम्हे याद करते हैं
खुशियाँ बाटने से बढती असूल जमाने का
गम तो अकेले ही सहने पड़ते हैं

अपनों से शिकवा की बारिश की खबर नहीं दी
बंद कमरे में गैरों के साथ क्यों आप बंद होते है

तुम्हे दिखाने को हंसते रहे हम
छिपाते दिल के आंसू और गम
जब तुम सामने तो हम बाग़ बाग़ होते है

हर रात के बाद दिन आता है
चाँद छिपता सूरज निकल जाता है
दिल के जख्म भरने को
ग़मगीन के भी उत्सव होते है

ख्वाब और ख्यालों की मलिका हम तुम्हारे गुलाम
हर ल्ह्मा हर पल हम तुम्हे याद करते हैं

चौराहा

चौराहे पर खडा मैं सोच रहा
किधर जाऊं मन टटोल रहा

चार राहें जहाँ आके मिलती हैं
उस चौराहे के थानेदार से मैं बोल रहा

बहुत सुंदर सजाया है चौराहे को
उसपे बैठाया चहचहाते चिडे चिडयों को

मुबारक हो थानेदार तुम्हे यह खुशहाल चौराहा
हमारा तो येही रास्ता है
रोज निकलेंगे इस चौराहे से
दिलबर का आशियाँ यहाँ से दिखता है

इतना रहम करना दिलबर के रूबरू होने पर
रोक देना उन्हें अपना रुआब दिखा कलाम सुना कर

Sunday, August 3, 2008

विश्व दोस्त दिवस .................

पूरा विश्व आज दोस्त दिवस मना रहा है
आज हमें भी हमारा दोस्त याद आ रहा है.

आज देख रहे हैं दोस्ती भरे तराने को
मेरे दोस्त आ आज ताजा करें अपने अफसाने को

हम तो हैं तैयार तुम्हारे हमदम बन जाने को
अरमान हमारा एक, दिल को दिल से मिलने और मुस्कुराने को

हाथ में हाथ डाल हम चाँद पर जायेंगे
परियां स्वागत करेंगी गन्धर्व गीत गायेंगे

जब दिल से दिल; मिल जायेंगे नया उजाला आएगा
दुनिया देखेगी हमारी दोस्ती और दुश्मन घबराएगा

कसमे हमारी दोस्ती की हर आशिक खायेगा
कृष्ण सुदामा को भूल हम से दिल लगायेगा