मेरी बेगम ने झोंक दी हैं सालन में वो मिर्चें,
निवाला मुँह में रखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं,
शादी की ये तस्वीरें बड़ी मुश्किल से ढूँढी हैं,
मैं अब इनको पलटता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं,
जमा-पूँजी मैं बिस्तर के सिरहाने रख के सोता था
वहाँ अब हाथ रखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं,
मेरी शादी मेरी लग्ज़िश थी या गलती थी वालिद की,
मैं बीवी से जब ये सुनता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं...
जब किसी यार की शादी में दुल्हन को रोते देखता हूँ विदाई पर
अपने यार के आने वाले दुर्दिन सोच आँखे भीग जाती हैं
जब समन्दर के किनारे चोंचे लडाते तोता मैना देखता हूँ मैं
उनका भविष्य सोच फिर से आँखे टपक जाती हैं
मेरे रिश्तेदारों की वोह करती खातिर और ताने मारती अपने को
सुनके देख के यार्रों आँखे पसीज जाती हैं
क्या क्या बताएं तुम्हे इन आँखों का राज
हमारी तो 'मौके' पर ही और उनकी तो 'बेमोके' छलकती जाती हैं
Friday, April 30, 2010
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