Wednesday, December 28, 2022

गुलदस्ता

 बेशक मेरा मन

अजनबियो का मेला होगा

पर एक गुलदस्ता है

हर भांति के फूल हैं इसमें

रंग बिरंगों का मेला है।

कुछ भगवान को

कुछ प्रिय इंसान को

कुछ बिदा होते

कुछ आगवानी करते

कुछ चिढ़ाते

कुछ मनाते

कुछ नूतन जुड़ते

कुछ रूसते बिदा होते

गुल तो खिलते 

झड़ते मुरझाते

यही तो इस ग्रुप की पहिचान

क्योंकि यहां तो हर दम

हंसी खुशी प्यार की बेला है

Thursday, December 22, 2022

यह दुनिया बेगानी

यह दुनिया बेगानी 

 बेरंगी बेमानी 

मतलबियों से भरी हुई 

बेवफाओं से सजी हुई 

बाप बड़ा ना भैया 

सबसे बड़ा रुपिया 

बनावटी बदन,

लीपे पुते दर्शन 

मुखोटों से ढके

मिश्री से भरे 

सार रहित वचन 

फिर भी चाहत हसरत 

से भरपूर टूटता यह मन 


 








 












क्या बेचा क्या पाया

गांव भूले शहर बसे, कीमत बड़ी चुकाई है। 

जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।

बिक गया है ईमान धरम, तब घर में शानो शौकत आई है। 

संतोष बेच खरीदी बैचेनी, देखो कितनी मंहगाई है।। 


बीघा बेच वर्ग फुटखरीदा, ये कैसी चतुराई है।  

संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, नई पीढ़ी मुरझाई है।।  

रिश्तों में हुए स्वार्थी, हर आंख ललचाई है।  

कहां गुम हो गई मिठास, जीवन में कड़वाहट सी भर आई है।।    


रस्सी की बुनी खाट बेच दी, गद्दों ने जगह बनाई है। 

अचार, मुरब्बे हुए गायब,आलों में सजी दवाई है।।  

माटी की सोंधी महक बेच के, बनावटी खुशबू पाई है।  

मिट्टी का चुल्हा बिक गया, आज गैस पे खीर जलाई है।।  


पांच पैसे का लेमनचूस था,अब चाकलेट हमने पाई है।  

बिका रहम, करुणामय दिल, कुटिलता समर है।। 

सैलून में अब बाल कट रहे, बिका मोहल्ले का नाई है।

टीवी के सामने दिन गुजरता, बोल को तरसतीअम्मा के संग ताई है।।  


मलाई बरफ के गोले बिक गये, अब तो कोक की बोतल आई है।  


मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, अब फ्रीज़ में ठंढक आई है ।। 

खपरैल बेच छत डाल दी, तपस ने नींद  उड़ाई है। 

बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।


गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, चिकने फर्श में टांग तुड़ाई है।

देहरी से गौ माता बेची, अब कुत्ते संग रात बिताई है ।

गुड शक्कर भूल गए, मधुमेह, रक्तचाप ने, हर घर में जगह पाई है।।  


दादी नानी की बिकी कहानियां, दूरदर्शन ने जगह बनाई है। 

बहुत तनाव है जीवन में,गृहलक्ष्मी भी दो पैग लगाई है।

मतलबी हुए हैं रिश्ते बेचारे, बची नही उनमें कोई सच्चाई है।

उबटन बिक गया, क्रीम से मुख चमक रहे , दिल पे जमी गहरी काई है।  

गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई  है।।  

जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।। 

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹

Sunday, December 4, 2022

शादी

 शादी वोह लड्डू है 

जिसे खा के लोग मुस्कुराते हैं

जीवन का आनंद लेते 

परिवार बढ़ाते हैं।


बिना नमक के 

सब्जी बेस्वाद होती है

कभी कभी ग्रहस्त जीवन में भी

 तकरार होती है।


ए जी ओजी, सुनने को 

रात में गरमागरम रोटी खाने को

तबियत बेकरार होती है।।


हमने भी यह लड्डू 

खाए खिलाए हैं

जिनको नहीं मिले 

यकीनन वो पछताए हैं

Saturday, November 26, 2022

विवाह स्वर्ण जयंती


 "विवाह स्वर्ण जयंती" 

बिना तुम्हारे काटती 


हमने ना जाने कितनी सालगिरह साथ मनाई

हर वर्ष लक्ष्मी रूप में,तुम लक्ष्मी साथ आई।


प्रिय, 1972 का वोह दिन रह रह उभरता है

सोच सोच दिल जोर जोर धड़कता है 


घोड़ी पर चढ़ मैं तुम्हे मनाने आया था।

लंबा चौड़ा लश्कर भी साथ लाया था।


तुम सहमी सी, 

हिरणी की आंखो सी निहार रही थी।

दो दिलों में तो प्रेम कली खिल रही थी।


प्रति वर्ष यह तिथि खास होती थी।

मधुरतम मधु रात्रि की समृति 

हर्षित मोहित करती थी।


प्रथम वर्ष समाप्ति पूर्व 

ईश्वर की सौगात पाई थी।

पुत्र रत्न की किलकारी 

हर किसी को हरसाई थी।


जिंदगी को विराम कहां

हमे तुम्हे था विश्राम कहां?


संघर्ष में बनी थी तुम संबल मेरा।

मेरी हार को भी जीत माना 

मुझे बांधा विजय सेहरा।


क्षणिक खुशी के पलों को भी

 तुम्हारा संबल मिला

कन्या और दित्य पुत्र प्राप्ति से 

परिवार पूर्ण हो चला।


हम चलते चलते ना जाने

कहां से कहां पहुंच गए।


मैसूर आ कर थमना था तो जम गए।

विश्वास नहीं होता की

 कैसे ५० वर्ष निकल गए।


आज फिर वोह ही दिन पाया है।

विवाह की  स्वर्ण जयंती का अवसर आया है।

तुम बिन इस दिन का कोई अर्थ कैसे।

तुम नहीं तो विवाह सवर्ण वर्षगांठ शूल जैसे।


आज तुम्हे याद कर 

तुम्हारे चित्र को 

अश्रुपुष्प अर्पण करता हूं

मन पटल पर छाई

तुम्हे नमन करता हूं।


काश आज तुम होती

इस दिन बड़ी रौनक, 

देवी दर्शन, दावतें होती


सभी मित्र, बंधु बांधव, 

नाती पौते बलैया लेते।

आज के दिन को 

५० वर्ष पूर्व जैसा जी लेते।


बंद कमरे में, अकेला 

तुम्हारी यादों में खोया हूं।


आसमान को निहारता 

तारों में तुम्हे खोजता हूं।


तुम्हारी तस्वीरों में मन विचर रहा

साथ बिताए हर पल स्मरण कर रहा


भरपूर गृहस्ती संसार है

लेकिन प्रिय तुम बिना बेकार है।

🌹 🌹🌹 🌹

डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, July 13, 2022

यादें प्रियतमा की

यादें एक साल बीता सावन पलट आया फिर भी मन रीता।। रहने को सदा इस दुनिया में आता नहीं कोई पर तुम जैसे गई, ऐसे भी जाता नहीं कोई।। डरता हूँ, कहीं सूख ना जाए, आंखों का समन्दर जानेमन, राख अपनी कभी बहाता नहीं कोई।। ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी तुम्हे लेजाने में मौत को सीने से लगाता नहीं दुश्मन भी कोई।। माना कि, हमारे उजाले, तुमसे रोशन होते थे फिर भी रात में हमने, दिया बुझाया, नहीं कभी।। जमाने से गिला था तुम्हें, या मुझ से शिकवा अब तो कुछ भी याद आता नही।। तुम्हारी तस्वीर मेरा अंबल निहारते रोज उसे, तुम्हे भुला पाता नही।।h

Wednesday, June 29, 2022

दिल की तड़प

खोजते हैं,दो पल ख़ुशी के, चाँद तारो की ख्वाहिश नहीं होती। जवानों का दिल रोता है, आँखों से बरसात नहीं होती।। दिन में सुनते हैं पापा के ताने, रात को दर्द भरे गाने दिल लगाने की उम्र में, लग जाते हैं बेचारे कमाने।। उगता सूरज दिखाता इन्हें ख्वाब और ढलता हुआ औकात कोई ना समझता, दर्द इनका, ना कोई जज्बात।। घर में रहे तो नकारा, बाहर रहे तो आवारा ना रोए तो पत्थर. रोए तो बेचारा । पूछते हैं इन की खुशी की वजह सब बिना दर्द जाने , उम्मीदें सबकी इनसे बिना पहीचाने|| मेरे बच्चे ने कुछ खाया, बस एक माँ ही कहती है हर सुबह जागते किस्मत को ढूंढते, तलाशते पर मित्रो वोह नही मिलती जाने कहां सो जाती है|| जिंदगी का फसाना कुछ कम हो तो मोहब्बत हो जाती है दिल देते जिसे, करते इंतजार जिसका, वह भी दिल तोड़ जाती है जिसको माँ से बढ़ प्यार करते हैं वह भी ठोकर मार जाती है || खिलौना टूटने पर रोया करते थे बचपन में कोई मनाएगा अब दिल के टुकड़े हो जाते कोई नही आयेगा || साथियों दिल का जख्म भरा नहीं कि एक और जख्म आता है लड़को कि जिंदगी में फिर बेरोजगारी का दौर आता है खाली जेबों में ,खुशी के लहमे, खनखन करते हैं घरवालों के ताने हीं नहीं , बाहर वाले भी धुनते हैं जिंदगी की ठोकरें खाकर सुकून की तलाश में रहते हैं || लड़को कि जिंदगी घुटन में गुजरती है बेबसी इन लड़कों की ऐसी , जैसे कब्र में लाश रहती है ।। मर्द हैं मर्दानगी की बेबसी.आँख भरती ,शर्माती पर नही बरसती .... नही बरसती

Thursday, June 2, 2022

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गौसेवा हेतु आश्रुपूर्ण मिलन

गौशालाओ में कुर्सी का संघर्ष चलता रहता है। कलकत्ता की एक गौशाला के नामी धनाढ्य अपने मित्र से चुनाव हार गए और गौशाला से विमुख हो गए। मित्र को उन्होंने सपष्ट कह दिया कि अगर उसने गौशाला के विषय में कुछ भी मांगा तो उसकी मित्रता का अंतिम दिन होगा। कुछ दिनों पश्चात मित्र प्रात: अपने विमुख मित्र के घर गया और मित्र की पत्नी से कहा भाभी हलवा बना।मित्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और पूंछ बैठा कि आज क्या विशेष है। *यह उत्तर सुनने लायक है* भाई, तेने तो बोल दिया कि गौशाला के बारे में कोई बात नही करूं और करूंगा तो तेरी मेरी मित्रता का अंतिम दिन होगा। परंतु मैं क्या करूं रोज रात गोशाला के प्राणी स्वपन में आकर मुझे पूछते हैं कि मैंने तेरे से बात की, तेरी सेवा को याद करते मुझे सींग मारते हैं। मुझे पता है की आज मेरा तेरे साथ आखिरी दिन है क्योंकि मैं रोज रात सींग नही खा सकता तो आज भाभी के हाथ का हलवा आखरी बार खा कर तेरे से गौशाला के प्राणियों हेतु बात करने आया हूं। मुझे पता है कि तू मुझे आज धक्के मारेगा लेकिन मैं गौमाता के सींग खाने से बच सकूंगा। मित्रो, कुछ ही पलों में दोनो मित्र आंसू पुरित नेत्रों से गले लग गौशाला कल्याण हेतु अग्रसर थे। आइए, हर एक को प्राणी सेवा से जोड़ने का हर संभव प्रयास करें डा श्रीकृष्ण मित्तल

प्रिय

प्रिय तुम्हारी बरसी भी आ गई बिछोह के 324 दिन रोज तुम्हारा स्मरण तुम नहीं - बरसी आ गई। तुम प्रभु चरणों में विलीन मैं यहां चिंतन में लीन। मन से तुम दूर नहीं भूलने का कोई प्रयास सफल नही हर पल,हर सफलता में तुम यादो से दूर होती नही। मेरा धर्म कर्म,पुण्य लाभ सुख तुम्हे समर्पित तुम्हारे बिना लगता सब फीका सब अपरिचित। चाहे धरती या आसमान तुम ही एक थी कद्रदान अब तो एक ही अरमान रहना साथ मेरी मेहरबान।।

Wednesday, February 9, 2022

मैं रोज तराना गाता हूं

 मैं रोज तराना गाता हूं

भारत में भारत की याद कराता हूं।
सोने की चिड़िया को विदेशी लूट ले गए
मल्लेछ हम भूले नहीं, अंग्रेज भी कम ना रहे।
आज फिर उनकी याद कराता हूं।
आजादी के 75 वर्षों में गोल टोपी सवार रही
देश जागा जब वोह उतार दी।
आज फिर मैं याद कराता हूं।।
याद करो बलिदान हकीकत का
गुरु तेगबहादुर के बालक वीरों का
जिन्होंने धर्म,गौ माता के लिए प्राण दिए।
भारत मां को रक्त तिलक अर्पण किए।
मत बह जाना बहकावे में
ना आ जाना किसी भुलावे में।
हमे योगी मोदी को 100 साल लाना है
भारत को लाल हरे नीले से बचाना है।
मैं रोज तराना गाता हूं।
भारत में भारत की याद कराता हूं।।
🌹 भारत माता की जय 🌹