Thursday, June 2, 2022
प्रिय
प्रिय
तुम्हारी बरसी भी आ गई
बिछोह के 324 दिन
रोज तुम्हारा स्मरण
तुम नहीं - बरसी आ गई।
तुम प्रभु चरणों में विलीन
मैं यहां चिंतन में लीन।
मन से तुम दूर नहीं
भूलने का कोई प्रयास सफल नही
हर पल,हर सफलता में
तुम यादो से दूर होती नही।
मेरा धर्म कर्म,पुण्य लाभ सुख तुम्हे समर्पित
तुम्हारे बिना लगता सब फीका सब अपरिचित।
चाहे धरती या आसमान
तुम ही एक थी कद्रदान
अब तो एक ही अरमान
रहना साथ मेरी मेहरबान।।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment