Monday, November 8, 2021

अधूरी दिवाली

 


हमने ना जाने कितनी दिवाली साथ मनाई

हर दिवाली लक्ष्मी रूप में,लक्ष्मी साथ आई।


कितने ही आरती पूजन साथ किए।

घर दुकान कारखानों में दीप रोशन किए।


पटाखों के धमाकों और शोर में, 

फूलझाड़ियों की झरझर में

मिठाई की सुगंध मिठास में

नूतन सुंदर जेवर परिधान में

हर साल तुम मन पे छा जाती थी


नही भूल पा रहा 

तुम्हारा दमकता चमकता चेहरा

तुम्हारा उल्लास भरा आभास


दिवाली तो इस वर्ष भी आ गई

पर तुम ना जाने कहां खो गई।


दीप भी जलेंगे

पटाखे भी चलेंगे

मिठाई भी बटेंगी

बोनस भी बटेगा

पूजा भी होगी 

लेकिन तुम..........

ना जाने कहां खो गई


यादों के झरोखों में 

पलक की कोरो में

हृदय के कोनों में

ढूंढती तरसती आंखें


हर एक की तरसती भावना

मेरे मन में बसी तरसती आत्मा

वर्षों से मेरी प्यारी सखी

मेरे परिवार की एकल कड़ी


दिवाली तो आ गई

पर तुम ना जाने क्यों रूठ गई 

ना जाने तुम, कहां खो गई।


यह रूखी बेरंग दिवाली

तुम्हारे बिना नही मनानी 

यह अधूरी दिवाली .....

Wednesday, August 4, 2021

चाय बनी हरजाई

मुझे फिर फिर चाय की याद आती है। 
 साथ में यादों की घटा छा जाती है।। 

 यह खुशनुमा भोर और उसकी अंगड़ाई 
 चिलमन से पहली किरण की अगवाई। 

 ख्वाबों में फिर प्याले में मिठास भर लाई 
 वोह अपने हाथों में चाय लेकर थी 

आई हाय ख्वाब टूटा और 
चाय हाथ ना आई।

Saturday, July 24, 2021

श्रधा सुमन

प्रिये तुम बहुत याद आती हो जीवन के हर मोड़ पर तुमने साथ दिया हर ख़ुशी दी हर सुख दिया || गत ५० वर्षो के संग की याद आती है विवाह की स्मृति सर्वदा मन मंदिर पे छा जाती है || प्रथम पुत्र प्राप्ति की पूर्व संध्या में हमने बाबी देखी थी और बाबी आया था शीघ्र ही कन्या रत्न व् दित्य पुत्र भी पाया था || प्रिये तुम बहुत याद आती हो गृहस्वामिनी, भाग्यवान सर्वदा प्रभु में आस्थावान थी व्रत, पूजा, उजमन, यज्ञ तीर्थ,दान में निष्ठावान थी मेरी प्रिया, अर्धांगनी, मेरी प्रेरणा, मेरी जान थी नाम हीनहीं रूप और कर्म में लक्ष्मी समान थी || बाबा दादी पिता-माता जी के देहांत पर तुमने अहम् काम निभाया था मेरे सभी भाइयों को पुत्रवत अपनाया था अ पनी ननद को सुखमें विदा किया दौरानियों ने बहिन रूप में पाया था|| प्रिये तुम बहुत याद आती हो नहींभूलता कन्या विदा करना और बहूएँ लाना दिल्ली, बेंगलोर और वृन्दावन का विवाह ठिकाना| सुन्दर जामाता, बहूएं आई घर में ख़ुशहाली और प्रसन्नता का खजाना || सुन्दर दोहतीपौत्रों का प्रशाद मिला घर खुशियों से भर गया तुम्हारा मन खिला || प्रिये तुम बहुतयाद आती हो मै थका हारा आता, तुमसे उर्जा उत्साह पाता था|| मेरे हर निर्णय मेंतुम्हारा योगदान होता था जीवन के झंझावात में तुम साथ देती थी संगनी भार्या मित्रसमान चर्चा करती, राय देती थी || प्रिये तुम बहुत याद आती हो जब श्रंगार कर तुमसामने आती थी मेरी तो अपलक आँखें तुम पर टीक जाती थी याद आता तुम्हारा रूठना औरमेरा मनाना तुम्हारा मुझे झुकाना और फिर मान जाना || प्रिये तुम बहुत याद आती हो अजब हमारी गृहस्ती थी कितनो को भाती, कितनो को खलती थी || हम मोर मोरनी की तरह चलते थे घर बेघर, ऊपर नीचे, देश परदेश, हर हाल- अभाव में भी में प्रसन्न रहते थे हमने मधु यामनी के मधुर पल भी संजोये थे प्रिये तुम बहुत याद आती हो गावं हो या नगर,देश या विदेश पल पल हम जीए थे|| कलकता,मुंबई, काशी, गया, आगरा का ताज या वृन्दावन दार्जलिंग,शिमला,मसूरी काश्मीर नैनीताल उंटी, कोडई,चेन्नई,मैसूरकी चामुंडी माँ केदार,नीलकंठ,बद्रीविशाल मदुरई मीनाक्षी या वैशनवी माँ, अग्रोहा, रामेश्वरम,तिरुपति, राधावल्लभजी बयावला,बिहारीजी आदि दर्शन नेपाल, मलेशिया,सिंगापुर, याश्रीलंका की मधुर यादें घुमड़ घुमड़ कर आती छाई यादें मन पर हर पल आदेशों का पालनकरती मेरी दिलबर | प्रिये तुम बहुत याद आती हो बहूत सी कामनाएं बाकी हैं तुम्हारीकमी रहेगी परन्तु थाती हैं आज परिवार में सम्पन्नता खुशहाली है तुम्हारी कमी कैसेपूर्ण होगी पूछता यह सवाली है|| प्रिये तुम बहुत याद आती हो सोच सोच थर्राता हूँ अबयह समय कैसे निकलेगा पुत्र पुत्रवधू पौत्र, बेटी दामाद भाई बहुओं का बंधू बांधवोसंगी साथियों का साथ तो मिलेगा दिल को बहुत समझाता हूँ || प्रिये तुम बहुत याद आती हो हर पल हर क्षण हर कार्यमें तुम याद आओगी इस याद में ही कभी यह जान निकल जाएगी प्रिये, इन्तजार करना ऊपर जल्दी ही साथ आऊंगा सात जन्मों का वादा था तुम्हे भी निभाना होगा मै भी शीघ्र निभाऊंगा.......................... डा श्रीकृष्ण मित्तल

Wednesday, July 21, 2021

Lakshmibala mittal Obituary

Saturday, June 26, 2021

यार की यारी

यार की यारी, नही कोई दुकानदारी। बहुत ढूंढा, गली कूचे, दरीबो में दुकानो में तेरे जैसा,मिला नही कोई, हीरे की खदानो में। दाग तो चांद में भी साफ नजर आता हैं। लेकिन आशिक को सकून पहुंचाता है।। मुझे तेरी यारी से मतलब, तेरे सो ऐबो से क्या लेना मेरा हमदम, मेरा रहबर तो है खरा सोना। कसम तेरी दोस्ती की, दिल से तू निकलता नही। ऐब तो मुझ में भी हजारों हैं, तू गिनता ही नही।। *डा श्रीकृष्ण मित्तल*

Monday, April 26, 2021

हाय आम : वाह आम

आम तू तो आम हो गया। मैं तो यूं ही इसके इश्क में बदनाम हो गया। लंगड़ा सिर पर चढ़ा।सरोली तो मेहरोली गया। दुसहरी मिलता नही,पतला लम्बा, कहां गया? बेंगनपल्ली का क्या कहना। सिंदूरी तो शर्म में सिंदूर हो गया।। मालदा का आते आते मलीदा बन गया मलीहाबादी तो लखनऊ में खत्म हो चुका। तोता गिरी का क्या कहना आचार बन रसोई की शान बन गया।। बूढ़ा का प्यारा, बच्चों का दुलारा मेरा प्यारा, तेरा दुलारा आज आम हो गया। यह गुलाबपास, रत्नगिरि, अलफांसो फलों का राजा,विदेशों को निर्यात हो गया।