Saturday, June 26, 2021
यार की यारी
यार की यारी, नही कोई दुकानदारी।
बहुत ढूंढा, गली कूचे, दरीबो में दुकानो में
तेरे जैसा,मिला नही कोई, हीरे की खदानो में।
दाग तो चांद में भी साफ नजर आता हैं।
लेकिन आशिक को सकून पहुंचाता है।।
मुझे तेरी यारी से मतलब,
तेरे सो ऐबो से क्या लेना
मेरा हमदम, मेरा रहबर
तो है खरा सोना।
कसम तेरी दोस्ती की,
दिल से तू निकलता नही।
ऐब तो मुझ में भी हजारों हैं,
तू गिनता ही नही।।
*डा श्रीकृष्ण मित्तल*
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment