प्राणी धर्म
वोह मुख क्या पाक जो सिर्फ राम रहीम का जप करे
या वोह हाथ जो मैल उठाता,लेकिन दूसरों की मदद करे .
कहते हैं गिलहेरी को राम ने उठाया था
उसे बड़े बड़े तपसियों से भी ऊँचा बताया था
मरा मरा जप के रत्नाकर बाल्मीकि बन गये
प्रकांडपंडित तिर्कालदर्शी त्रिलोकविजेता एक दिन लद गये
सिकंदर खाली हाथ आया था खाली हाथ ही गया
लेकिन हार कर भी पोरस अपना नाम अमर कर गया
क्या हिंदु क्या मुस्लिम क्या करुं धर्मो की बात
धर्म तो सारे प्रेम सिखाते पर हम फैलाये उत्पाद.
मानव, मानव के काम न आये ये तो नादानी है
बेअदबी,
इर्षा
मक्कारी,
नमकहरामी
गरूर,
शरूर,
बेइमानी,
बदकारी
का जीना,दुश्वारी और बेमानी है
इस मानव जीवन की बस एक कहानी है
कर भला हो भला,जो मान ले,वो ही प्राणी है
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डॉ. श्रीकृष्ण मितल
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Saturday, March 20, 2010
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