Tuesday, April 7, 2009

वीरों की परिभाषा

वीरों की जरूरत
आज भाटों की नही वीरों की जरुरत है
जो भिड सके दुश्मनों से राष्ट्र के खातिर
खून खोलता हो जिसका अत्याचार देख
ऐसे ही चाहिए नोजवान जिसमे हो वेग.
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वीरों की जरूरत तो आदिकाल से चली आई है।
आल्हा उदल वीर शिवा छत्रसाल से यह धरा सजाई है॥

खून हो तो खोलेगा यारों
यहाँ तो डालडा और बिसलरी पिलवायी है॥

जो बोले हाथ कटवा दूंगा उसे रासुका,
जिसके साले ............
बीबी बेलगाम चले ............
और खुद बुलडोजर चलवाए .............
यह २ /३ की राजनीति
देश के नवजवानों पर छाई है ।।

बगल में तालिबान दहाड़ रहा...........
२६/११ हो चूका ..........
अब शायद मोदी अडवाणी जैसों की बारी आई है॥

एक नोजवान ने सत्य बोलने का साहस किया।
माया लालू मुलायम प्रियंका जैसो की बन आई है॥

गुरु कुर्बानी किसी मकसद से हो तो रंग लाती है।
नहीं तो खुदकुशी पर देश का कानून हरजाई है॥

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