Thursday, November 27, 2008
धिक्कार
भारत के कर्णधारों को
देश के सुरक्षा के जिम्मेदारों को
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
जो घर के रहने वालों पर भोंकते काटते हैं
बाहर के आतंकियों को देख दुम दबा कर भागते है
निर्दोषों की जानो को दाव पर लगा कर झूटी शान बखारते हैं
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
उन देश के नेताओं को
जो सुभाष भगतसिंह आजाद का नाम बदनाम करते
पंचशील को पुकारते हर बार यह आखिरी है वादा करते
ऐसे भेडियों को
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
कभी कारगिल तो कभी संसद
कभी काशी तो कभी दखन
कभी दिल्ली तो कभी बम्बई
देश की अस्मत को लुटाते
निर्दोषों की जान गवांते
ऐसे पाखंडियों देश द्रोहियों को
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
सब्र का बाँध टूट गया है
देश आंसुओं डूब गया है
विदेशी ठठाका मार रहा है
ऐसे शिखंडी सरकार पर
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
देश की सेना क्या सो रही है
गुप्तचर सेवा क्या सुप्त हो रही है
ATS क्या अब रो रही है
ऐसी सरकार को
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
देश भक्तों और सेना गोरवों पर
कहर बदनामी बरपा कर
अफजल को फांसी दोगे तो काश्मीर जल जाएगा सुना कर
देश की आन बान शान लूटा रही है
ऐसी राजनीती को
धिक्कार धिक्कार धिक्कार
आज जरूरत है इंतकाम की
इन आतंक के सौदागरों के दिल में
भारत के बदले और इंतकाम की
एक के बदले चार की यानी पैनी तलवार की धार की
नहीं तो हमें नहीं स्वीकार
उठो देशवासिओं ऐसे देश के दुश्मनों से देश को बचाओ
खुल के सामने आओ और इनको बोली गोली और मतों से सबक सिखाओ
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1 comment:
Bilkul sateek bat kahi hai aapne....Aise hi jwalant vishyon per likhte rahiye ....
Regards
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