Monday, January 5, 2009

एक और नयी सुबह का फूल ......................



बधाई नव वर्ष की और क्षमा करना मेरी भूल

कल सुबह भी देखा था खिलता मुस्कुराता फूल
हुयी शाम और ढल गया फूल

क्षण भंगुर यह दुनिया,
जानत सभी फिर भी गये भूल

पल की खबर नहीं, सामा १०० वर्ष का
प्यार को समय नही, झगडा कयामत का

फिर भी एक और नयी सुबह और उसका फूल

सोचता हूँ समय थमता नही
रात रूकती नही सुबह थमती नही

हर वर्ष फिर नव वर्ष की गूंज और हाथ में फूल

लेते भी, देते भी, दोस्त भी दुश्मन भी
राजा भी रंक भी, साधू भी संत भी
हिन्दू भी मुसलमा भी
सभी लगते इस नई सुबह का
खिलता मुस्कुराता चमन का फूल

फूल के साथ में कांटे जो दिखते नही
फिर भी दिल में दे जाते शूल

ऐसा ही कुछ हुआ गत वर्ष
जैसे बम्बई पर आतंकवादी हमला
शेएर बाज़ार का ४ लाख करोड़ पी जाना
पुरे विश्व का मंदी में घिर जाना
संसद में नोटों का लहराना
बेनजीर का हलाक ............और
श्रीमान १०% का सदर बन जाना
अर्र्रे ............दुनिया के थानेदार पर जूता चल जाना

किसी को फूल किसी को कांटे
किसी को शूल किसी को तोहफे
................एक और नयी सुबह .....और.....फूल

No comments: