अगर रावण का भाई ना होता तो राम कहाँ होते ?
अगर आम्भी ना होता तो सिकंदर कहाँ होते ?॥
सफेद चादर पर काला निसान टीके की तरह सजता है ।
जैसे गोरी के गाल पे काला तिल चाँद सा चमकता है ॥
मन्दिर के पंडत याद करते है मधुशाला की रातें ।
बैठते अल्लाह के दर पे, पर मधुबाला को ताकते ॥
उस बुतखाने को क्यों याद करना जहां खुदा भी कैद हो ।
उस साकी और मधुशाला का सदका जहां आज़ादी काबिज़ हो ॥
अगर साबित करना हो की किस की ज्यादा दुकानदारी है ।
खोल देखो मधुशाला, किस पर, किस की, रंगत भारी है ॥
दिख जायेगा रंग मधुशाला का हर कोई मदहोश हो जाएगा ।
कारवां पीने गया मधुशाला से तो इबादत करने कोन जाएगा ॥
"सजते है मंदिर मधुशाला से" शराबी झूमता गाता जायेगा ।
मधुशाला होंगी तो ही मौलवी मस्जिद में खुदा याद कराएगा ॥
Monday, September 8, 2008
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1 comment:
bahut achhe .kabhii mere blog par aayen kyakahun.blogspot.com
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