यशोदा लेत बलैया देखत श्याम सुबह श्याम
पलना डोरत हिलत पायजबिआं बजत मधुर कर्णधाम
नन्दबाबा को लाडलो सोवे गोपिआं देखेत आवे भूलत घाम
हरष खिलत देख श्याम को सखी झोंटा देत लपक नित शाम
यह दर्श मेरे मन में व्यापो मेरे जीवन की भई शाम
मैं तो चली गोकुल मिलवे सांवरे को मुझे ना कोई दूजो काम
तू भी आयियो कान्हा के दर्शन पायियो दोनों लेवेंगे श्याम को नाम
सुन प्रियसखी बैठेंगे नन्द के चौबारे कर जन्म सफल निरख छबि घनश्याम
राधे राधे
श्याम से मिला दे
नैया तू सबकी पार लगा दे
Friday, September 5, 2008
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1 comment:
SUNDER.
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