हे दीनदयाल तुम्हारी वाणी में
जाने कैसा आकर्षण छुपा हुआ
हे दयाल तुम्हारे दर्शन मे
मन कमल सा खिल गया हमारा
पुष्प अर्पण हे दीनदयाल तुम्हारे चरणो में
हे माँ भारती के जगमगाते सितारे
जीवन का आदर्श छिपा तुम्हारे कर्मो में
एकात्म मानववाद के पुरोधा
देश का कल्याण रचा तुम्हारे शब्दों ने
हे लोकतंत्र के सजग प्रहरी
देख - देश चल पड़ा है तेरी दिखाई राहों पे
सारा भारत कर रहा स्मरण अभिनन्दन तुम्हारा
हे युग पुरुष, दीनदयाल
"मित्तल" का सत सत नमन तुम्हारे चरणो में
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