अफसर नेता दोनों खडे काके लागु पाए
बलिहारी नेता अपनों जो अफसर से सलाम कराए
नेता बैठा पेड़ पर रहा सबकी हरकत देख
चमचों पर करपा करे खागया, देश और खेत
अफसर गुंडे और नेता हैं आज के ब्रह्मा विष्णु महेश
पूरा देश कब्जे में इस त्रिमूर्ति के बाकी सब अवशेष
ब्रह्मा पूजे विष्णु को विष्णु पूजे महेश को महेश उसे दिल में धारे
ब्रह्मा सबका रचियेता सब एक पर दिखते सारे नियारे
इनकी लाली देखन मैं गया जित देखूं उत लाल
देखत देखत खा गये देश विदेश में गया माल
गिरगिट ने शिकायत करी क्यों करते मुझे बदनाम
रंग पलटने दल पलटने और आँख बदलने में यह मुझसे महान
रहिमन नेता की झोपडी होत बहुत विशाल
चमचे भी बना गये कार, दुकान महाल
नेता से डर कर रहियो कभी न निभावें प्रीत
सरकारी दामाद यह इनकी माल पचाने की रीत
पढ़ लिख कर तू कया करेगा बन जा किसी का चमचा
नेता बन, माल डकार, होगा तेरे पास रुतबा, नाम और पैसा
जीत गया तो मंत्री और हार गया तो निगमों का अध्यक्ष
पार्टी में रुतबा तेरा, थाने में शब्द तेरे, जनता को तू भक्ष
जेल गया तो कया हुआ कल अख़बार में देख
नेता बनने का रस्ता होत जात जेल के खेत
Thursday, February 5, 2009
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1 comment:
आप कि इस रचना पढ कर बहुत हि अच्छा लगा
अच्छी दोहा वली पद्कर
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