पंच बुला कर करो फ़ैसला
भाई और साले में
दांये बाएं में हो गयी जंग
बीती रात शिवाले में
प्यास लगी नींद भगी
कमल घूम रहा ख्यालों में
भोले बोले पंच बुलाओ
जनता तो गयी हिमाले पे
गलती किसकी इच्छा उसकी
भंग चढ़ गयी माथे पे
हर घर का हाल यही है
पंच गये दिवाले में
बुश को मानने सरकार हिली
वाम रूठा खडा विराने में
टुकुर टुकुर देख रहे घरवाले
आज इस ज़माने में
घर की आग में हाथ सेक रहे
ऐरे गेरे नथू खेरे बैठे मैखाने में
बेडा गर्क हो रहा देश का
फ़िक्र किसे करो फैसला चो्डे चोक उजाले में
Sunday, July 13, 2008
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1 comment:
bhut sunder
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