Sunday, July 20, 2008

मौला.............

मौला बोला बचाले मुझे
इस मतलबी दुनिया से उठाले मुझे

तुने कायनात बनायीं थी
खुबसुरत बगिया लगायी थी

आदम और हौवा बनाये थे
पीर पैगम्बर भिजाये थे

नेकी पर चलना सिखाया था
जकात रहम इबादत पे चलना सिखाया था

आज खुदा की खुदाई हैवान हो गयी
इंसानियत लालच में नीलाम होगई

इंसान खुद खुदा बन गया
उपर वाले पे से भरोसा उठ गया

अल्लाह की दर इराक टूट गया
अमरीका परस्ती में पाक नापाक हो गया

इंसानियत का हस्र इतना की दिल भर गया
मोला भी शायद अटम से डर गया

जमी को जन्नत बनाने का ख्वाब धूल में मिल गया
मौला तू ही संभालेगा

इस कायनात को शैतानो के कब्जे से निकलेगा
या खुद भी जायेगा और हमें भी बुला लेगा

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

seema gupta said...

इस कायनात को शैतानो के कब्जे से निकलेगा
या खुद भी जायेगा और हमें भी बुला लेगा
" ah! dil se nilklee freeyad"