Wednesday, June 29, 2022
दिल की तड़प
खोजते हैं,दो पल ख़ुशी के,
चाँद तारो की ख्वाहिश नहीं होती।
जवानों का दिल रोता है,
आँखों से बरसात नहीं होती।।
दिन में सुनते हैं पापा के ताने, रात को दर्द भरे गाने
दिल लगाने की उम्र में, लग जाते हैं बेचारे कमाने।।
उगता सूरज दिखाता इन्हें ख्वाब
और ढलता हुआ औकात
कोई ना समझता,
दर्द इनका, ना कोई जज्बात।।
घर में रहे तो नकारा, बाहर रहे तो आवारा
ना रोए तो पत्थर. रोए तो बेचारा ।
पूछते हैं इन की खुशी की वजह सब बिना दर्द जाने ,
उम्मीदें सबकी इनसे बिना पहीचाने||
मेरे बच्चे ने कुछ खाया, बस एक माँ ही कहती है
हर सुबह जागते किस्मत को ढूंढते, तलाशते
पर मित्रो वोह नही मिलती
जाने कहां सो जाती है||
जिंदगी का फसाना कुछ कम हो तो मोहब्बत हो जाती है
दिल देते जिसे, करते इंतजार जिसका, वह भी दिल तोड़ जाती है
जिसको माँ से बढ़ प्यार करते हैं
वह भी ठोकर मार जाती है ||
खिलौना टूटने पर रोया करते थे
बचपन में कोई मनाएगा
अब दिल के टुकड़े हो जाते
कोई नही आयेगा ||
साथियों
दिल का जख्म भरा नहीं कि एक और जख्म आता है
लड़को कि जिंदगी में फिर बेरोजगारी का दौर आता है
खाली जेबों में ,खुशी के लहमे, खनखन करते हैं
घरवालों के ताने हीं नहीं , बाहर वाले भी धुनते हैं
जिंदगी की ठोकरें खाकर सुकून की तलाश में रहते हैं ||
लड़को कि जिंदगी घुटन में गुजरती है
बेबसी इन लड़कों की ऐसी ,
जैसे कब्र में लाश रहती है ।।
मर्द हैं मर्दानगी की बेबसी.आँख भरती ,शर्माती
पर नही बरसती ....
नही बरसती
Thursday, June 2, 2022
गौसेवा हेतु आश्रुपूर्ण मिलन
गौशालाओ में कुर्सी का संघर्ष चलता रहता है।
कलकत्ता की एक गौशाला के नामी धनाढ्य अपने मित्र से चुनाव हार गए और गौशाला से विमुख हो गए।
मित्र को उन्होंने सपष्ट कह दिया कि अगर उसने गौशाला के विषय में कुछ भी मांगा तो उसकी मित्रता का अंतिम दिन होगा।
कुछ दिनों पश्चात मित्र प्रात: अपने विमुख मित्र के घर गया और मित्र की पत्नी से कहा भाभी हलवा बना।मित्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और पूंछ बैठा कि आज क्या विशेष है।
*यह उत्तर सुनने लायक है*
भाई, तेने तो बोल दिया कि गौशाला के बारे में कोई बात नही करूं और करूंगा तो तेरी मेरी मित्रता का अंतिम दिन होगा।
परंतु मैं क्या करूं रोज रात गोशाला के प्राणी स्वपन में आकर मुझे पूछते हैं कि मैंने तेरे से बात की, तेरी सेवा को याद करते मुझे सींग मारते हैं।
मुझे पता है की आज मेरा तेरे साथ आखिरी दिन है क्योंकि मैं रोज रात सींग नही खा सकता तो आज भाभी के हाथ का हलवा आखरी बार खा कर तेरे से गौशाला के प्राणियों हेतु बात करने आया हूं।
मुझे पता है कि तू मुझे आज धक्के मारेगा लेकिन मैं गौमाता के सींग खाने से बच सकूंगा।
मित्रो, कुछ ही पलों में दोनो मित्र आंसू पुरित नेत्रों से गले लग गौशाला कल्याण हेतु अग्रसर थे।
आइए, हर एक को प्राणी सेवा से जोड़ने का हर संभव प्रयास करें
डा श्रीकृष्ण मित्तल
प्रिय
प्रिय
तुम्हारी बरसी भी आ गई
बिछोह के 324 दिन
रोज तुम्हारा स्मरण
तुम नहीं - बरसी आ गई।
तुम प्रभु चरणों में विलीन
मैं यहां चिंतन में लीन।
मन से तुम दूर नहीं
भूलने का कोई प्रयास सफल नही
हर पल,हर सफलता में
तुम यादो से दूर होती नही।
मेरा धर्म कर्म,पुण्य लाभ सुख तुम्हे समर्पित
तुम्हारे बिना लगता सब फीका सब अपरिचित।
चाहे धरती या आसमान
तुम ही एक थी कद्रदान
अब तो एक ही अरमान
रहना साथ मेरी मेहरबान।।
Subscribe to:
Posts (Atom)