Wednesday, August 4, 2021

चाय बनी हरजाई

मुझे फिर फिर चाय की याद आती है। 
 साथ में यादों की घटा छा जाती है।। 

 यह खुशनुमा भोर और उसकी अंगड़ाई 
 चिलमन से पहली किरण की अगवाई। 

 ख्वाबों में फिर प्याले में मिठास भर लाई 
 वोह अपने हाथों में चाय लेकर थी 

आई हाय ख्वाब टूटा और 
चाय हाथ ना आई।