दे दी पटकनी लालू राहुल को तुम दोनों ने बिना खडग बिना ढाल
पटना के रन बांकुरों नितीश मोदी, तुमने कर दिया कमाल
कल तक लालू यशस्वनी गुर्राते थे बार बार
राज में ना थी बिजली ना रक्षा था केवल भ्रष्टाचार
नीतिश कोस रहे थे वोह घड़ी जब लालू से हाथ मिलाया था
वोह समय जब आधी छोड़ पूरी को ललचाया था
इधर लालू के गुर्गो ने अपना रूप दिखाया था
सुशासन बाबू की प्रतिष्ठा को कोठे पर बैठाया था
चाणक्य निति ने फिर दो बिछड़ो को मिलाया
जयप्रकाश जी के सूरज चाँद को साथ दिलाया
नितीश ने दे मारा इस्तीफा तान के
चंगुल से बाहर आ गए सीना तान के
सरकार तो युगल जोड़ी ने चलानी थी
कुछ घडियों के बिछोह की कष्ट भरी यादें मिटानी थी
सामने थी बेकारी, अन्धकार, और सूखा बाढ़ गरीबी लाचारी
साथ थी हिम्मत, हौसला, संगठन शक्ति और दयानतदारी
लालू जेसों का तूफ़ान और अंधकार विरासत में मिला था
सामने समस्याओं का, बड़े बोलों का, लम्बा सिलसिला था
कुछ दिनों पूर्व का दृश्य याद करो साथियों
२०१० के चुनावों का स्मरण करो भाइयों
कहीं राम
कही राहुल
कहीं माया
कहीं लल्लू
कुरुक्षेत्र सज चूका था
बिहार चुनाव धधक चूका था
हमले हुए, तीर चले आरोप लगे
अपने पराये हुए, दिल में खंजर से लगे
जनता पर विश्वास था कर्म पर था भरोसा
साथ कमल सा कोमल और तीर सा कठोर था
शरद, शिवानन्द, ठाकुर, रविशंकर
शाहनवाज, शुष्मा, लालजी से साथ कर
भीड़ गये बौल हर हर महादेव अल्लाह हो अकबर
सामने लालू राबड़ी, रामविलास, राहुल सोनिया एक से एक बढ़ कर
काम जीत गया, विश्वाश बढ़ गया
नतीजे आज आये तो नशा सा चढ़ गया
एक दो नही २०० भी पार होगये
सामने तो तीन चार बीस बाईस रह गये
रन बाकुरे नही संभल सके जीत को और साथ निभाना
उस ही का परिणाम देख भुगत अपनी गलती को माना
जनता की अरदास दोनों से लम्बा साथ निभाना
कमल खिला रहे, तीर पैना रहे जनता की आस पुराना
डॉ श्रीकृष्ण मित्तल
पटना के रन बांकुरों नितीश मोदी, तुमने कर दिया कमाल
कल तक लालू यशस्वनी गुर्राते थे बार बार
राज में ना थी बिजली ना रक्षा था केवल भ्रष्टाचार
नीतिश कोस रहे थे वोह घड़ी जब लालू से हाथ मिलाया था
वोह समय जब आधी छोड़ पूरी को ललचाया था
इधर लालू के गुर्गो ने अपना रूप दिखाया था
सुशासन बाबू की प्रतिष्ठा को कोठे पर बैठाया था
चाणक्य निति ने फिर दो बिछड़ो को मिलाया
जयप्रकाश जी के सूरज चाँद को साथ दिलाया
नितीश ने दे मारा इस्तीफा तान के
चंगुल से बाहर आ गए सीना तान के
सरकार तो युगल जोड़ी ने चलानी थी
कुछ घडियों के बिछोह की कष्ट भरी यादें मिटानी थी
सामने थी बेकारी, अन्धकार, और सूखा बाढ़ गरीबी लाचारी
साथ थी हिम्मत, हौसला, संगठन शक्ति और दयानतदारी
लालू जेसों का तूफ़ान और अंधकार विरासत में मिला था
सामने समस्याओं का, बड़े बोलों का, लम्बा सिलसिला था
कुछ दिनों पूर्व का दृश्य याद करो साथियों
२०१० के चुनावों का स्मरण करो भाइयों
कहीं राम
कही राहुल
कहीं माया
कहीं लल्लू
कुरुक्षेत्र सज चूका था
बिहार चुनाव धधक चूका था
हमले हुए, तीर चले आरोप लगे
अपने पराये हुए, दिल में खंजर से लगे
जनता पर विश्वास था कर्म पर था भरोसा
साथ कमल सा कोमल और तीर सा कठोर था
शरद, शिवानन्द, ठाकुर, रविशंकर
शाहनवाज, शुष्मा, लालजी से साथ कर
भीड़ गये बौल हर हर महादेव अल्लाह हो अकबर
सामने लालू राबड़ी, रामविलास, राहुल सोनिया एक से एक बढ़ कर
काम जीत गया, विश्वाश बढ़ गया
नतीजे आज आये तो नशा सा चढ़ गया
एक दो नही २०० भी पार होगये
सामने तो तीन चार बीस बाईस रह गये
रन बाकुरे नही संभल सके जीत को और साथ निभाना
उस ही का परिणाम देख भुगत अपनी गलती को माना
जनता की अरदास दोनों से लम्बा साथ निभाना
कमल खिला रहे, तीर पैना रहे जनता की आस पुराना
डॉ श्रीकृष्ण मित्तल
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